केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, हाईकोर्ट के जमानत पर रोक के फैसले को दी है चुनौती
दिल्ली शराब नीति में निचली अदालत ने पिछले दिनों सीएम केजरीवाल को जमानत दे दी थी. इस फैसले को ED ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी.
Delhi Excise Policy Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच आज सुनवाई करेगी. केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति मामले में हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें दिल्ली सीएम की जमानत पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी.
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले मामले में उन्हें जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय की अंतरिम रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. निचली अदालत ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत दे दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी. ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था.
सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को मिल चुकी अंतरिम राहत
हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ED को अंतरिम राहत नहीं दी होती, तो सीएम शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते थे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केजरीवाल को 2 जून तक चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी. इसके बाद 2 जून को केजरीवाल ने सरेंडर कर दिया था.
अगली सुनवाई तक हाईकोर्ट ने जमानत पर लगाई रोक
शुक्रवार को हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने कहा था कि अगले आदेश तक जिस फैसले को चुनौती दी गई है, उसका क्रियान्वयन स्थगित रहेगा. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को 24 जून तक लिखित दलील दाखिल करने को कहा था. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की है. हाईकोर्ट ने कहा था कि वह दो-तीन दिन के लिए आदेश सुरक्षित रख रहा है, क्योंकि वह पूरे मामले के रिकार्ड का अवलोकन करना चाहता है. अदालत ने केजरीवाल को नोटिस जारी कर ईडी की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें निचली अदालत के 20 जून के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत उन्हें जमानत दी गई थी.
हाईकोर्ट में ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने दलील दी थी कि निचली अदालत का आदेश विकृत, एकतरफा और गलत था और निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे. निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए राजू ने दलील दी थी कि ईडी को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया.