नई दिल्ली: जम्मू से हिरासत में लिए गए 168 रोहिंग्या लोगों को रिहा करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कल के लिए टाल दी है. वकील प्रशांत भूषण के ज़रिए दाखिल याचिका में मांग की गई है कि होल्डिंग सेंटर में रखे गए इन लोगों को भारत से वापस न भेजा जाए. साथ ही, भारत में रह रहे सभी रोहिंग्याओं को शरणार्थी का दर्जा दिया जाए. याचिका में कहा गया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं कि रोहिंग्या लोग भारत की सुरक्षा को खतरा पहुंचा रहे हैं.
जम्मू पुलिस ने कहा है कि इन लोगों के पास भारत में आने और रहने के वैध कागज़ात नहीं हैं. इसलिए, इन्हें फॉरेनर्स एक्ट और पासपोर्ट एक्ट की धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया है. फिलहाल, सभी को कठुआ जिले के हीरानगर उप-कारागार में रखा गया है. पुलिस के मुताबिक म्यांमार दूतावास से पुष्टि के बाद इन लोगों को वापस भेजा जाएगा.
मोहम्मद सलीमुल्लाह समेत दूसरे रोहिंग्या लोगों के लिए पेश वकील प्रशांत भूषण ने आज सुप्रीम कोर्ट से अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट के एक आदेश को रिकॉर्ड पर रखने की अनुमति मांगी. उन्होंने कहा कि यह आदेश इसी तरह के मामले से जुड़ा है. कोर्ट को इसे देखना चाहिए. कोर्ट ने इसकी अनुमति दी. लेकिन आज समय की कमो के चलते सुनवाई कल तक के लिए टाल दी.
इस बीच जम्मू के एक एनजीओ 'फोरम फ़ॉर ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस' ने भी मामले में खुद को सुने जाने के लिए आवेदन दिया है. एनजीओ ने कहा कि जम्मू में इन लोगों को एक साजिश के तहत बसाया गया है. इसके पीछे मकसद इलाके का जनसंख्या संतुलन बिगाड़ना और भारत की सुरक्षा को खतरा पहुंचाना है. इसलिए, कोर्ट सरकार को रोहिंग्या लोगों पर कार्रवाई से न रोके. उन्हें उनके देश वापस भेजा जाए.