Citizenship Amendment Act: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 सितंबर को सुनवाई करेगा. इस नागरिकता संशोधन कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 को या फिर उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता (Citizenship) देने की बात कही गई है.


सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए 18 दिसंबर, 2019 को याचिकाओं पर केंद्र सरकार (Union Govt) को नोटिस जारी किया था. 


CAA की संवैधानिकता पर सुनवाई


सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई सूची के मुताबिक चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने 12 सितंबर को सुनवाई के लिए इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग की प्रमुख याचिका समेत 220 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है. संशोधित कानून 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से देश में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों के गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान करता है. 


सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था नोटिस


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जनवरी 2020 के दूसरे सप्ताह तक जवाब मांगा था. याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए, पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से नागरिकों को कानून के बारे में जागरूक करने के लिए ऑडियो-विजुअल माध्यम का उपयोग करने पर विचार करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम स्टे नहीं देने जा रहे हैं. 


मुस्लिम लीग की याचिका में क्या है?


सीएए (CAA) को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने अपनी याचिका में कहा था कि यह समानता के मौलिक अधिकार (Fundamental Right) का उल्लंघन करता है और धर्म के आधार पर बहिष्कार करके अवैध प्रवासियों के एक वर्ग को नागरिकता (Citizenship) देने का इरादा रखता है.


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