महाराष्ट्र: पालघर में साधुओं की लिंचिंग की जांच CBI करेगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
साधुओं के रिश्तेदार और जूना अखाड़ा साधुओं ने सीबीआई और एनआईए जांच की गुहार लगाई थी. राज्य सरकार का कहना है कि लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई कर दी गई है, ऐसे में जांच सीबीआई को सौंपना गलत है.
मुंबई: महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या का मामला सीबीआई को सौंपने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. हालांकि राज्य सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि पुलिस जांच के बाद चार्जशीट दाखिल कर चुकी है और मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की गई है.
साधुओं के रिश्तेदारों ने लगाई थी सीबीआई और एनआईए जांच की गुहार
दरअसल साधुओं के रिश्तेदार और जूना अखाड़ा साधुओं ने सीबीआई और एनआईए जांच की गुहार लगाई थी. याचिका में महाराष्ट्र सरकार की जांच पर संदेह जताया था. वहीं, महाराष्ट्र सरकार लगातार सीबीआई जांच का विरोध कर रही है. उद्धव सरकार की दलील है कि महाराष्ट्र पुलिस जांच के बाद चार्जशीट दाखिल कर चुकी है.
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है, ''सीआईडी ने दो चार्जशीट दाखिल की है. विभागीय जांच भी हुई है. एक इंस्पेक्टर को बर्खास्त किया गया. एक एसआई और एक हेड कांस्टेबल को जबरन रिटायर किया गया. वहीं, 15 और पुलिसवालों को न्यूनतम वेतन की सज़ा दी गई है. ऐसे में जांच सीबीआई को सौंपना गलत है.''
पिछले साल 16 अप्रैल को पालघर में हुई थी दो साधुओं की लिंचिंग
पिछले साल 16 अप्रैल को पालघर के गढ़चिंचले गांव में दो साधुओं और उनके वाहन चालक की भीड़ ने बच्चा चोर होने के संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. वे लोग सूरत जा रहे थे. साधुओं की लिंचिंग का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिस पर जमकर राजनीति हुई.
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