निर्भया कांड के दोषी अक्षय की रिव्यू पिटीशन पर 17 दिसंबर को खुली अदालत में होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट तीन दोषियों मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है. तब कोर्ट ने माना था कि दोषी ऐसी कोई बात रखने में नाकाम रहे, जिसकी वजह से फैसले को बदलना ज़रूरी लगे.
नई दिल्ली: निर्भया दुष्कर्म व हत्या कांड के आरोपी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 दिसंबर को दोपहर दो बजे सुनवाई करेगा. अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी. कोर्ट ने कहा है कि मामले में खुली अदालत में सुनवाई होगी. ट्रायल कोर्ट से फांसी की सजा मिलने के बाद हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय की फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट तीन दोषियों मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है. तब कोर्ट ने माना था कि दोषी ऐसी कोई बात रखने में नाकाम रहे, जिसकी वजह से फैसले को बदलना ज़रूरी लगे. उस वक्त अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी. 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी की सज़ा दी थी. अब अक्षय ने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला वारदात को अंजाम देने वाले 6 लोगों में से राम सिंह की जेल में मौत हो गयी थी. एक नाबालिग दोषी बाल सुधार गृह में 3 साल बिता कर रिहा हो गया. ऐसे में निचली अदालत और हाई कोर्ट में 4 लोगों पर मुकदमा चला. दोनों अदालतों ने चारों को फांसी की सज़ा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा.
5 मई 2017 को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "ये घटना इस दुनिया की लगती ही नहीं. ये ऐसी दुनिया की घटना लगती है जहां इंसानियत मर चुकी हो. दोषियों की नज़र में पीड़िता इंसान नहीं, सिर्फ एक मज़े का सामान थी."
फांसी से कितनी दूर दोषी दोषियों की तरफ से आखिरी कानूनी विकल्प के इस्तेमाल और उसमें फांसी की सज़ा की पुष्टि होने पर निचली अदालत डेथ वारंट जारी करती है. इस वारंट में फांसी की तारीख और समय तय किया जाता है. अभी दोषियों के पास क्यूरेटिव पेटिशन (संशोधन याचिका) दाखिल करने और राष्ट्रपति से दया की गुहार करने का विकल्प भी बचा है. ऐसे में निर्भया के साथ हैवानियत के दोषियों की फांसी में अभी भी कुछ वक्त लग सकता है.