हाईकोर्ट के जज लोकपाल की जांच के दायरे में आ सकते हैं या नहीं? इस अहम सवाल पर सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल को विचार करेगा. कोर्ट ने वरिष्ठ वकील  रंजीत कुमार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया. एमिकस क्यूरी इस केस के शिकायकर्ता का पक्ष रखेंगे.


27 जनवरी को लोकपाल सेवानिवृत्त जस्टिस ए एम खानविलकर ने हाईकोर्ट के जजों को अपनी जांच के दायरे में माना था. उन्होंने आदेश दिया था कि हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत पर लोकपाल विचार सकता है. 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मामले के दूरगामी असर को देखते हुए इस आदेश पर रोक लगा दी थी.


लोकपाल एक्ट, 2013 की धारा 14 की व्याख्या करते हुए लोकपाल ने कहा था कि हाईकोर्ट का गठन संसद से पारित कानून के आधार पर होता है. ऐसे में हाईकोर्ट के जज के बारे में अगर भ्रष्टाचार की शिकायत मिलती है, तो लोकपाल उस पर विचार कर सकते हैं. लोकपाल ने एक हाईकोर्ट जज के भ्रष्ट आचरण को लेकर मिली 2 शिकायतों पर यह निर्णय लिया था.


लोकपाल ने अपनी कार्यवाही आगे बढ़ाने से पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र भेज कर अपने निष्कर्ष से अवगत करवाया था. चीफ जस्टिस ने मसले को महत्वपूर्ण मानते हुए इस पर संज्ञान लिया और 3 वरिष्ठतम जजों जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच का गठन किया.


20 फरवरी को 3 जजों की बेंच के सामने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल स्वेच्छा से पेश हुए और कोर्ट की सहायता की मंशा जताई. केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के जज का पद संवैधानिक पद है. इस पद को संविधान से कुछ संरक्षण हासिल हैं. हाईकोर्ट के जज को लोकपाल के दायरे में रखना लोकपाल कानून की मंशा नहीं थी. वरिष्ठ वकील सिब्बल ने भी इस बात से सहमति जताई.


सिब्बल ने बेंच से अनुरोध किया था कि लोकपाल के आदेश के दूरगामी परिणाम को देखते हुए उस पर रोक लगा दी जाए. इसके बाद कोर्ट ने लोकपाल के आदेश पर रोक लगा दी. साथ ही, केंद्र सरकार, लोकपाल के रजिस्ट्रार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया था कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए शिकायतकर्ता और हाईकोर्ट जज की पहचान गोपनीय रखी जाए. 


मंगलवार (18 मार्च, 2025) को 3 जजों की विशेष बेंच एक बार फिर मामले की सुनवाई के लिए बैठी. इस दौरान जज के खिलाफ लोकपाल को शिकायत भेजने वाला शिकायतकर्ता व्यक्तिगत रूप से मौजूद था.  शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने लिखित हलफनामा दायर कर मामले का ब्योरा दिया है. जजों ने मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत बताते हुए 15 अप्रैल को दोपहर 2 बजे सुनवाई की बात कही.


कोर्ट ने शिकायतकर्ता को यह विकल्प दिया कि वह चाहे तो अगली तारीख में सुनवाई से ऑनलाइन जुड़ सकता है, लेकिन शिकायतकर्ता ने कोर्ट के समक्ष पेश होने को सम्मान की बात बताते हुए कहा कि वह व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होगा.


 


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