Supreme Court: हाई कोर्ट की तरफ से सरकारी अधिकारियों को तुरंत पेश होने के आदेशों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. शीर्ष अदालत ने सभी हाई कोर्ट को ऐसा न करने की चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकारी अधिकारियों को अपना कीमती समय कोर्ट में पेश होने के बजाय जनता के प्रति अपनी ड्यूटी को पूरा करने में देना चाहिए.


जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के शिक्षा विभाग के अतिरिक्त सचिव को जमानती वारंट जारी करने के लिए पटना हाई कोर्ट पर आपत्ति जताई. साथ ही शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी.


एक जज ने 143 अधिकारियों को पेशी पर बुलाया


राज्य की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील एएनएस नाडकर्णी और वकील ऋषि कावस्थी ने हाई कोर्ट के एक जज के 143 मामलों को शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड पर रखा, जिसमें राज्य सरकार के अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था.


अनायास बुलाना ठीक नहीं- सुप्रीम कोर्ट


पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि सरकारी अधिकारी अदालत का आदेश मानने के लिए बाध्य हैं और उसे लागू न करने की स्थिति में उन्हें तलब किया जा सकता है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि अधिकारियों को अनावश्यक कोर्ट में पेश होने को कहा जाए. जब तक जरूरी न हो ऐसे आदेश नहीं दिए जाने चाहिए.


कोर्ट ने कहा, अदालत में अधिकारियों के उपस्थित होने से उनका कीमती समय बर्बाद होता है, जिसका उपयोग नागरिकों की सेवा में हो सकता है. इस तरह के निर्देश जारी करके उन्हें बुलाना, इस उद्येश्य को कमजोर करता है.


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