अदालत में अधिकारियों के पेश होने के लिए तय होंगे दिशानिर्देश, केंद्र के सुझाव पर बोला सुप्रीम कोर्ट
केंद्र सरकार ने एसओपी तैयार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि कोर्ट में अधिकारियों की वेशभूषा को लेकर टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए. यह एसओपी केंद्र और राज्य सरकारों से जुड़े मामलों को लेकर है.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह सरकारी अधिकारियों को कोर्ट में तलब किए जाने को लेकर दिशानिर्देश तय करेगा. केंद्र सरकार ने सुझाव दिया था कि बहुत जरूरी होने पर ही किसी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहना चाहिए. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इस बात पर भी विचार करेंगे कि कोर्ट में पेश होने के दौरान किसी अधिकारी की वेशभूषा किस तरह की हो.
16 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अदालतों में सरकारी अधिकारियों को तलब किए जाने या उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने को लेकर एक मानक प्रक्रिया तैयार करने का अनुरोध किया था. केंद्र ने कहा था कि बहुत जरूरी होने पर ही किसी अधिकारी को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए कहा जाना चाहिए और यह भी सुझाव दिया कि अधिकारियों की वेशभूषा को लेकर टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए. यह एसओपी केंद्र और राज्य सरकारों से जुड़े मामलों को लेकर है.
SOP तैयार करने का क्यों दिया गया सुझाव?
यह मामला तब शुरू हुआ था जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी के 2 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को अपने एक आदेश के पालन में कोताही के चलते हिरासत में भेज दिया था. कोर्ट ने यह आदेश टिप्पणी रिटायर्ड जजों के सेवानिवृत्ति लाभ से जुड़े आदेश का पालन न करने के चलते की थी. इसके चलते सरकार ने महसूस किया कि ऐसे मामलों के लिए कोई एसओपी होनी चाहिए.
सरकार ने कहा, वेशभूषा को लेकर नहीं होनी चाहिए टिप्पणी
इसके अलावा, कोर्ट में पेश होने वाले अधिकारियों की वेशभूषा पर भी कई बार जजों की तरफ से टिप्पणी की गई. इस पर सरकार ने कहा कि कोर्ट को अधिकारियों के ड्रेसिंग पर बेवजह टिप्पणी नहीं करनी चाहिए.