Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (21 मार्च) को देश भर की लोअर कोर्ट को सुनवाई के दौरान बहुत सावधान होकर टिप्पणी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा, यह बेहद जरूरी है कि, मामलों की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट और निचली अदालतें सोच-समझ कर बयान दें. 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इन दिनों मामलों की ऑनलाइन सुनवाई होती है, इस सुनवाई के कारण आपके बयानों का काफी दूर तक प्रभाव पड़ता है. ज्यूडिशयल सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी की बात करते हुए उन्होंने कहा, ऑनलाइन सुनवाई आ जाने के बाद इतनी पारदर्शिता कभी नहीं देखी गई. 


किस मामले में कही ये बात?
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के एक मामले की सुनवाई करते हुए बीते साल जुलाई में दिए गए एक आदेश को रद्द करते हुए अपने फैसले में ये टिप्पणियां कीं, जिसमें एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के खिलाफ एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कुछ प्रतिकूल टिप्पणियां की गई थीं. 


पीठ ने यह टिप्पणी तब कि कर्नाटक हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के एक जज ने अपने आदेश में सीबीआई को एक याचिकाकर्ता का बैक रिकॉर्ड चेक करने को कहा था. कोर्ट ने उनके फैसले को रद्द करते हुए कहा, अदालती कार्यवाही के लाइव प्रसारण के कारण अदालत में दी गई टिप्पणियों के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, और जैसा कि इस मामले में देखा जा सकता है, इसमें शामिल पक्षों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है. 


टिप्पणी तब करें जब हो रही हो न्यायिक उद्देश्यों की पूर्ति
पीठ ने कहा, ऐसी परिस्थिति में अदालतों के लिए यह आवश्यक है कि वे शामिल पक्षों के खिलाफ टिप्पणी करतेे हुए और ज्यादा सतर्क रहने को कहा है. उन्होंने कहा, अदालत कोई भी टिप्पणी तभी करे जब यह उचित मंच पर उचित औचित्य के साथ न्यायिक उद्देश्यों की पूर्ती कर रहा हो.


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