नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 दिल्ली गैंगरेप मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. फैसला दोपहर 2 बजे आना है. देश को झकझोर कर रख देने वाले इस मामले के चारों दोषियों को निचली अदालत और हाई कोर्ट ने फांसी की सज़ा दी थी. पीड़ित के परिवार ने दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने की मांग की है.
आज जिन 4 दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट फैसला देगा वो हैं मुकेश, विनय, पवन और अक्षय. इस मामले में कुल 6 आरोपी थे. एक आरोपी राम सिंह की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी. जबकि एक आरोपी नाबालिग था. इसलिए, उसे बाल सुधार गृह भेजा गया. वो 3 साल सुधार गृह में बिताकर रिहा हो चुका है. रेप पीड़िता का नाम उजागर न करने के लिए मीडिया ने उसे निर्भया कहा. बाद में मामला निर्भया गैंगरेप केस कहलाने लगा.
रेप कांड का घटनाक्रम कुछ यूँ है:-
16 दिसंबर 2012 को 23 साल की फिजियोथेरेपी छात्रा अपने एक दोस्त के साथ फिल्म लाइफ ऑफ़ पाई देखने गई. रात साढ़े 9 बजे मुनिरका में वो एक चार्टर बस में सवार हुई. बस में सवार ड्राइवर समेत 6 लोग दरअसल मौज-मस्ती के इरादे से निकले थे. उनके पास उस रुट में बस चलाने का परमिट नहीं था. वो थोड़ी देर पहले भी बस में बढ़ई का काम करने वाले एक शख्स को बिठाकर लूट चुके थे. नाबालिग आरोपी ने निर्भया और उसके दोस्त को देखकर बस में बैठने के लिए आवाज़ लगाई. दोनों बस में सवार हो गए.
बस उस वक़्त राम सिंह चला रहा था. उसने बस को बताए गए रास्ते से अलग दिशा में डाल दिया. निर्भया के दोस्त ने जब सवाल किया तो बाकी पाँचों उनसे पूछने लगे कि दोनों साथ में क्यों घूम रहे हैं. सवाल पर एतराज़ करने पर उन्होंने दोस्त की जम कर पिटाई की और उसे बस में एक किनारे डाल दिया.
इसके बाद वो लड़की को बस के पिछले हिस्से में ले गए. जहाँ सब ने बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया. जिस दौरान ड्राइवर राम सिंह ने बलात्कार किया. उस वक़्त उसका भाई मुकेश बस चलाता रहा.
गैंगरेप की इस पूरी घटना के दौरान इन लोगों ने निर्भया के साथ जानवरों से भी बदतर बर्ताव किया. उसके गुप्तांग में लोहे का सरिया भी डाला गया. जिससे उसकी आंत बाहर निकल आई. शरीर के अंदरूनी हिस्सों को काफी नुकसान पहुंचा.
रात 11 बजे उन्होंने निर्भया और उसके दोस्त को बस से धक्का दे दिया. राम सिंह ने निर्भया को कुचलने की भी कोशिश की लेकिन उसके दोस्त ने उसे किनारे कर के बचा लिया. उन्हें सड़क किनारे पड़ा देख कर कुछ लोगों ने पुलिस को फोन किया.
निर्भया को बेहद गंभीर हालत में एम्स में भर्ती किया गया. उसके शरीर के अंदरूनी हिस्से जंग लगे लोहे की रॉड से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके थे. डॉक्टरों को उसकी आंत काट के निकालनी पड़ी. उसे बेहतर इलाज के लिए केंद्र सरकार के खर्चे पर सिंगापुर ले जाया गया. वहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गयी.
दिल्ली पुलिस ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए 17 दिसंबर को बस को जब्त कर लिया. बस की पहचान में सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरे से काफी मदद मिली. बस में खून से सना रॉड और कई और फोरेंसिक सबूत मिले.
निर्भया के लूटे गए फोन से मिली अपराधियों की लोकेशन
निर्भया से लूटे गए फोन की लोकेशन से अपराधियों का पता लगाने में मदद मिली. राम सिंह और मुकेश को राजस्थान से पकड़ा गया. विनय और पवन दिल्ली में गिरफ्तार हुए. नाबालिग आरोपी आंनद विहार बस अड्डे पर पकड़ा गया. अक्षय की गिरफ्तारी बिहार के औरंगाबाद से हुई.
मुकदमे के दौरान दिल्ली पुलिस की तरफ से जुटाए गए सबूतों को निचली अदालत ने काफी माना. 4 दोषियों को बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार, डकैती और हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सज़ा दी. निचली अदालत का फैसला 10 सितंबर 2013 को आया. 13 मार्च 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस सज़ा को बरकरार रखा.
27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दोषियों का पक्ष रखने के लिए 2 वरिष्ठ वकीलों राजू रामचंद्रन और संजय हेगड़े को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया. दिल्ली पुलिस की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने दलीलें रखीं. कई दिनों तक चली सुनवाई के बाद इस साल 27 मार्च को जस्टिस दीपक मिश्रा, आर भानुमति और अशोक भूषण की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.