सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीनेशन और हॉस्पिटलाइजेशन नीति पर केंद्र द्वारा दिए गए हलफनामे को स्वीकार कर लिया है और कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 13 मई को की जाएगी. इससे पहले 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए चार मुद्दों पर केंद्र से जवाब देने को कहा था. इसके बाद केंद्र ने शनिवार को कोर्ट में इस संबंध में हलफनामा दाखिल किया. कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर केंद्र सरकार को दो सप्ताह के अंदर अस्पताल में दाखिला के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने का भी निर्देश दिया था.
वैक्सीन का न्यायसंगत वितरण
अपने हलफनामे में केंद्र ने अपनी नीति का बचाव करते हुए कहा है कि यह महामारी अचानक आ गई और हमारे पास सीमित वैक्सीन है, इसलिए हम एक ही बार देश के सभी नागरिकों को वैक्सीन नहीं दे सकते. लेकिन केंद्र यह सुनिश्चित करेगा कि देश को नागरिकों को वैक्सीन का न्यायसंगत वितरण किया जाए. केंद्र ने कहा हमारी नीति भेदभावपूर्ण नहीं है. यह न्यायसंगत है और और दो आयु समूहों के बीच स्पष्ट विभिन्नता के आधार पर यह नीति बनाई गई है. सोमवार को इस केस की सुनवाई जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, एल एन राव और एस रविंद्र भट्ट की खंडपीठ कर रही थी.
कोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था और चार मुद्दों पर केंद्र से जवाब देने को कहा था. ये चार मुद्दे हैं- ऑक्सीजन की आपूर्ति, राज्यों की अनुमानित आवश्यकता, केंद्रीय पूल से ऑक्सीजन के आवंटन का आधार, एक गतिशील आधार पर राज्यों की आवश्यकता के लिए संचार की अपनाई गई कार्यप्रणाली. राज्यों की आवश्यकता वाले मुद्दे के तहत कोविड बेड समेत महत्वपूर्ण चिकित्सा आवश्यकताओं में वृद्धि तहत को भी रखा गया. वहीं, आवंटन वाले तीसरे मुद्दे के तहत रेमडेसिविर, फेविपिविर सहित आवश्यक दवाओं की उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपनाई गई केंद्र की नीति व चौथे मुद्दे में वैक्सीनेशन को लेकर जवाब मांगे गए थे.