MBBS दाखिले में जाति प्रमाण पत्र घोटाला मामले की सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, कलकत्ता हाईकोर्ट से अपने पास ट्रांसफर की याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट की दो पीठों के बीच टकराव के मद्देनजर मामला अपने हाथ में लेने और सभी कार्यवाही पर रोक लगाने का फैसला किया.
एमबीबीएस (MBBS) में एडमिशन के लिए रिजर्व्ड कैटेगरी की सीट के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने में अनियमितताओं के आरोपों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच कराने के मुद्दे से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. सोमवार (29 जनवरी, 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाएं अपने हाथ में ले ली हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) की दो पीठ में टकराव के बाद कोर्ट ने यह फैसला किया है.
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि उसने इस मुद्दे से संबंधित सभी मामलों को अपने हाथ में लेने का फैसला किया है और तीन हफ्ते की अवधि में दलीलें पूरी करने का निर्देश दिया है. पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे.
तीन हफ्ते बाद याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
बेंच ने कहा, 'हम याचिकाओं को ठीक तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध करेंगे.' सुप्रीम कोर्ट की पीठ पहले इस विवाद को निपटाने के लिए 27 जनवरी को अवकाश के दिन बैठी थी, जहां एक असहमत न्यायाधीश ने खंडपीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसने उनके निर्देश को रद्द कर दिया था. खंडपीठ ने सीबीआई जांच का निर्देश देने के साथ केंद्रीय एजेंसी को जांच आगे बढ़ने के न्यायाधीश के निर्देश को रद्द कर दिया था.
कलकत्ता हाई कोर्ट के दो पीठों के बीच टकराव
विवादास्पद न्यायिक स्थिति को हल करने के प्रयास के तहत पीठ ने शनिवार (27 जनवरी, 2024) को कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट की दो पीठों के बीच टकराव के मद्देनजर मामला अपने हाथ में लेने और सभी कार्यवाही पर रोक लगाने का फैसला किया. जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने खंडपीठ के जज सौमेन सेन पर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के हितों के लिए सीबीआई जांच के उनके आदेश को खारिज करने का आरोप लगाया था.
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