नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक पर आज जो फैसला दिया है वो लॉ ऑफ़ द लैंड यानी कानून का दर्जा रखता है, यानी सरकार कानून बनाए या ना बनाए ये अपने आप में कानून है. अब अगर किसी महिला को एक साथ तीन तलाक दिया जाता है तो वो इसे सिविल कोर्ट में चुनौती दे सकती है.


सिविल कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए तलाक को अमान्य करार देगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का फायदा उन महिलाओं को मिल सकता है जिन्होंने याचिका दाखिल कर ट्रिपल तलाक को चुनौती दी थी. आज से पहले जिन महिलाओं को ट्रिपल तलाक दिया गया है उनके लिए इसका फायदा मिलने की गुंजाइश नहीं है.


सीधे शब्दों में कहें तो ऐसा नहीं हो सकता कि कई साल पहले 3 तलाक पाने वाली महिला अब तलाक रद्द करने का दावा कर दे और कोर्ट उसे मान ले. यानी कुल मिलाकर अब अगर ट्रिपल तलाक का मामला सामने आता है तो वहां पर महिला को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का फायदा होगा.


गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक एडवायज़री भेजी
वहीं ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक एडवायज़री भेजी है, इसमें कहा गया है कि सभी राज्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरी तरह पालन कराएं. अगर कोई पीड़ित शिकायत करती है तो फौरन प्रभावी कदम उठाए जाएं. फैसले के बाद के हालातों पर नजर रखी जाए जिससे विरोध की सूरत में कानून व्यवस्था के लिए समस्या पैदा ना हो.