SC on Homemakers Rights: गृहणियों के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. SC ने कहा कि वो बिना किसी बदले की उम्मीद के परिवार के अच्छे के लिए काम करती हैं. ऐसे में एक भारतीय विवाहित पुरुष को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसे अपनी पत्नी को आर्थिक रूप में सशक्त बनाने की जरूरत है क्योंकि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है. 


सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा धारा 125 सीआरपीसी के तहत अपनी तलाकशुदा पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण देने के निर्देश के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान की. व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी महिलाओं पर भरण-पोषण मांगने का कानून लागू होता है. चाहे वो किसी भी धर्म की हो. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि तलाक के बाद मुस्लिम महिला को अपने पति से भरण-पोषण का हक है. यह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत आता है. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि यह विवाहित महिलाओं का मौलिक अधिकार है. 


'नहीं है कोई आय का स्वतंत्र स्रोत'


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हमारा मानना है कि एक विवाहित भारतीय पुरुष को इस बात को लेकर सचेत रहना चाहिए कि उसे अपनी पत्नी को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना है और उसकी देखभाल करनी है. उसकी पत्नी के पास आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है. इसी वजह से उसकी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना जरूरी है."


'अधिक सुरक्षित स्थिति में होगी गृहिणी'


कोर्ट ने कहा, 'वित्तीय सशक्तीकरण होने से ग्रहणी परिवार में और ज्यादा सुरक्षित हालात में होगी.' पीठ ने आगे कहा, ' भारतीय विवाहित पुरुष इस बात से वाकिफ हैं और अपने जीवनसाथी को घरेलू खर्चों के अलावा, संभवतः संयुक्त बैंक खाता खोलकर या एटीएम कार्ड के माध्यम से व्यक्तिगत खर्चों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए. 


Hathras Stampede: 'बाबा की गिरफ्तारी का विरोध किया तो फाड़ देंगे खोपड़ा', BKU भानु गुट ने दी चेतावनी