नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर लगभग सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की तरफ से जवाब दायर नहीं करने पर आपत्ति जताई है. जिसमें कोर्ट की तरफ से यह आरोप लगाया गया कि पुलिस अधिकारियों को विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त किया जा रहा है जो कई बार न्यायाधीश के रूप में काम करते हैं.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यों को सुनवाई की अगली तारीख छह अगस्त से पहले अपने जवाब दायर करने का निर्देश दिया और चेताया कि आदेश का पालन नहीं करने पर संबंधित गृह सचिवों को उसके सामने व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा.
पीठ को जब यह जानकारी दी गई कि केवल दिल्ली ने जवाब दायर किया है तो पीठ ने कहा कि सभी राज्यों को अंतिम अवसर दिया जा रहा है. पीठ ने 17 अप्रैल को निर्देश दिया था कि याचिका की प्रतियां सभी 29 राज्यों और सात केन्द्र शासित प्रदेशों को सौंपी जायें ताकि वे छह सप्ताह में जवाब दायर कर सकें.
जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अल्दानिश रेन ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियेां की काम जांच करना होता है लेकिन उन्हें विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त किया जा रहा है और वे कुछ मामलों में न्यायाधीश की तरह काम करते हैं.
इससे पहले , पीठ ने आश्चर्य जताते हुये पूछा था कि पुलिस अधिकारियों को कानून व्यवस्था कायम रखने के लिये लोगों से जमानती मुचलकों से निपटने के लिये दंड प्रक्रिया संहिता के तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेटों का काम करने की अनुमति कैसे दी जा रही है.