नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा दी है. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की मांग की थी. हालांकि अगले एक हफ्ते तक राजीव कुमार की गिरफ्तारी नहीं होगी. इस दौरान राजीव कुमार अपने लिए उपलब्ध कानूनी विकल्प आज़मा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कानून के मुताबिक उचित कदम उठाने की इजाज़त दी है.


CBI का राजीव कुमार पर सबूत मिटाने के आरोप


बता दें कि सीबीआई ने शारदा चिटफंड मामले में एसआईटी प्रमुख रहे राजीव कुमार पर सबूत मिटाने और जांच में असहयोग का आरोप लगाते हुए गिरफ्तारी की मांग की है. प.बंगाल सरकार और राजीव कुमार ने इसे साज़िश बताया है, सीबीआई पर बीजेपी के इशारे पर काम का आरोप लगाया है. राजीव कुमार वही अफसर ( पूर्व कमिश्नर) हैं जिनको कल चुनाव आयोग ने बंगाल से तबादला कर गृह मंत्रालय में रिपोर्ट करने को कहा था.


फरवरी में राजीव कुमार पर छापेमारी के बाद हुआ था हाई वोल्टेज ड्रामा


बता दें कि फरवरी महीने में राजीव कुमार जब कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर थे तब सीबीआई की 40 सदस्यों की टीम पूछताछ के लिए पहुंची थी. लेकिन वहां मौजूद कर्मियों ने सीबीआई की टीम को रोक दिया था. बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया था. यहीं से सीबीआई और ममता सरकार के बीच तनातनी शुरू हो गई और ममता बनर्जी राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताते हुए धरने पर बैठ गईं. तीन दिनों तक यह धरना चला.


शिलॉन्ग राजीव कुमार से पूछताछ कर चुकी है सीबीआई


इस दौरान करीब-करीब 20 विपक्षी पार्टियों ने ममता का साथ दिया. वहीं सरकार ने शारदा चिटफंड में घोटाले की जांच की दलील देते हुए कार्रवाई को सही बताया. ममता बनर्जी के साथ दरने पर खुद राजीव कुमार भी बैठे. पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में गया. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर कहा कि राजीव कुमार जांच में सहयोग करें हालांकि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए. जिसके बाद उनसे शिलॉन्ग में पूछताछ का आदेश दिया गया. शिलॉन्ग राजीव कुमार से सीबीआई कई दौर की पूछताछ कर चुकी है.


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