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लाउडस्पीकर को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन, राज्य सरकार को दिया था सख्ती का आदेश

Supreme Court On Loudspeaker: यूपी में लाउडस्पीकर को लेकर योगी सरकार की सख्ती पर राजनीति शुरू हो गई है. ध्वनि प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने 2005 ने अहम फैसला सुनाया था.

Supreme Court On Loudspeaker: उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकर को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर से सख्ती दिखाई है. सीएम योगी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत लाउडस्पीकर से संबंधित नियमों का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. इन आदेशों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए शुक्रवार (6 दिसंबर 2024) को लखनऊ सहित यूपी के कई जगहों पर पुलिस अधिकारियों ने सुबह-सुबह निरीक्षण किया. ऐसे में आपको बताते हैं कि लाउडस्पीकर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया था.

2005 में ध्वनि प्रदूषण को लेकर भड़का था सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2005 को ध्वनि प्रदूषण पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि देश के हर व्यक्ति को शांति से रहने का आधिकार है, जो उसके जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. कोर्ट ने उस समय साफ किया था कि लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना भले ही अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के अंतर्गत आता हो, लेकिन यह किसी के जीवन के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकता.

लाउडस्पीकर पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट किसी भी सार्वजनिक स्थल पर रात 10 से सुबह 6 बजे तक शोर करने वाले उपकरणों पर पाबंदी लगाई हुई है. तत्कालीन चीफ जस्टिस आरसी लाहोटी और जस्टिस अशोक भान की खंडपाठ ने ये आदेश दिया था. कोर्ट ने साफ किया था कि किसी को भी शोर मचाकर पड़ोसियों और अन्य लोगों के लिए परेशानी पैदा करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने साफ किया था कि ऐसे लोग अनुच्छेद 19(1)ए में मिली अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की बात करते हैं, लेकिन लाउडस्पीकर चालू कर कोई भी व्यक्ति इस अधिकार का दावा नहीं कर सकता.

कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी के पास बोलने का अधिकार है तो दूसरे के पास इसे नहीं सुनने का भी अधिकार है. अगर किसी को जबरदस्ती तेज आवाज में लाउडस्पीकर की सुनाई जाती है तो यह उसके शांति और आराम से प्रदूषणमुक्त जीवन जीने के अनुच्छेद-21 में मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा.

नियम नहीं मानने पर सख्ती का दिया था आदेश

कोर्ट ने अपने फैसले में सार्वजनिक स्थल पर लाउडस्पीकर के आवाज का पैमाना तय किया था. कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज उस क्षेत्र के लिए तय शोर के मानकों से 10 डेसिबल (ए) से ज्यादा नहीं होगी या फिर 75 डेसिबल (ए) से ज्यादा नहीं होगी. कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि जहां भी तय मानकों का उल्लंघन हो, वहां राज्य सरकार लाउडस्पीकर को जब्त करने का प्रावधान करे.

ध्वनि प्रदूषण अधिनियम नियम, 2000 के मुताबिक कामर्शिलय, शांत और आवासीय क्षेत्रों के लिए ध्वनि तीव्रता की सीमा (डेसिबल में) तय की गई है. जिसमें औद्योगिक क्षेत्र के लिए दिन में 75 और रात में 70 डेसिबल तीव्रता की सीमा तय की गई है. कामर्शिलय क्षेत्र के लिए दिन में 65 और रात में 55, आवासीय क्षेत्र के लिए दिन में 55 और रात में 45. 

ये भी पढ़ें : कांग्रेस सांसद की सीट से मिली नोटों की गड्डी, राज्यसभा में मचा हंगामा, जेपा नड्डा ने साधा निशाना

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