नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में जारी सियासी घमासान को लेकर बीजेपी नेताओं की याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं और यह सुनवाई कई घंटों तक चली. जज ने कहा कि स्पीकर को इस्तीफों पर फैसला लेना चाहिए. अगर कल विधायक उनसे मिलें तो क्या वह फैसला ले लेंगे?
वहीं बागी विधायकों के वकील मनिंदर ने कहा कि हमारी सुरक्षा का सवाल है. हम भोपाल नहीं जाना चाहते. जज ने कहा कि तब भी हाल का एक फैसला हैं जो कहता है कि स्पीकर को जल्द फैसला लेना चाहिए. हमने विचारधारा के कारण इस्तीफा दिया, अदालत उसकी पेचीदगी में नहीं जा सकती, विधानसभा अध्यक्ष अनिश्चित काल के लिये इस्तीफा को लेकर बैठ नहीं सकते.
कांग्रेस के बागी विधायकों ने न्यायालय से कहा कि हमारा अपहरण नहीं किया गया है और एक सीडी में अदालत में यह साक्ष्य पेश कर रहे हैं.
वहीं एमपी विधानसभा स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 19 इस्तीफे संदिग्ध हैं. 7 लोगों के इस्तीफे एक ही व्यक्ति ने लिखे. 2 लोगों ने 6-6 इस्तीफे लिखे. बस विधायकों से दस्तखत ले लिए गए. सबकी भाषा मिलती-जुलती है. स्पीकर बिना संतुष्ट हुए इस्तीफों पर फैसला नहीं ले सकते हैं.
मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संविधान के अनुच्छेद 212 का उल्लेख किया जिसमें सदन के भीतर की कार्रवाई पर अदालतों के संज्ञान लेने पर रोक लगाई गई है.
बीजेपी नेताओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि बागी विधायक भोपाल जाएं ताकि उन्हें लुभाया जा सके और वह खरीद-फरोख्त कर सके. रोहतगी ने कहा कि कैसे कोई राजनीतिक दल याचिका में बागी विधायकों तक पहुंच की मांग कर सकता है. उन्होंने याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाए.
शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायाधीश के चैंबर में सभी 16 बागी विधायकों को पेश करने की पेशकश की, जिसे न्यायालय ने ठुकरा दिया.
बता दें कि फ्लोर टेस्ट की मांग करते हुए बीजेपी के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. अब इस मामले में गुरुवार को सुनवाई होगी.