Supreme Court Verdict On Jallikattu: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में सांडों को काबू करने वाले पारंपरिक जल्लीकट्टू खेल की अनुमति देने वाले कानून की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज (18 मई) फैसला सुनाएगा. इस कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस पर पांच जजों की पीठ अपना फैसला सुनाएगी. 


फैसला देने वाली पीठ में जस्टिस केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, ऋषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार शामिल हैं. बेंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद 8 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब 5 महीने बाद ये फैसला सुनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, जस्टिस अनिरुद्ध बोस यह फैसला पढ़ेंगे.


क्या है जल्लीकट्टू


जल्लीकट्टू को एरुथझुवथुल के नाम से भी जाना जाता है. इसमें सांडों या बैलों को भीड़ के बीच छोड़ दिया जाता है. इस दौरान खिलाड़ी सांड को काबू में करने की कोशिश करते हैं. पोंगल त्योहार के हिस्से के तौर पर इसे किया जाता है. आरोप है कि इसमें सांडों के साथ हिंसा की जाती है, हालांकि आयोजक ऐसी बातों से इंकार करते हैं.


कैसे शुरू हुआ मामला


इस खेल पर प्रतिबंध की भूमिका साल 2011 में केंद्र सरकार के एक कानून के बाद बनी, जिसमें बैलों को उन जानवरों की लिस्ट में शामिल किया गया जिनका प्रदर्शन और प्रशिक्षण बैन कर दिया गया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस खेल पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया और इस पर रोक लगा दी.


2015 में तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फैसला वापस लेने की मांग की. इस दौरान तमिलनाडु सरकार ने जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की बेंच को बताया कि यह केवल मनोरंजन का काम नहीं है, बल्कि इस महान खेल की जड़ें 3500 साल पुरानी धार्मिक परंपरा से जुड़ी हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका ने खारिज कर दिया.


इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने केंद्र से एक अध्यादेश लाने की मांग की. 2016 में केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई जिसमें कुछ शर्तों के साथ जल्लीकट्टू के आयोजन को हरी झंडी मिली. 


तमिलनाडु विधानसभा में बिल पास


2017 में तमिलनाडु की ओ पनीरसेल्वम सरकार ने विधानसभा में एक बिल पास किया था. इस बिल को विपक्षी डीएमके का भी पूरा सपोर्ट मिला. विधेयक में जल्लीकट्टू के आयोजन को पशु क्रूरता अधिनियम से बाहर रखने का फैसला किया गया. महाराष्ट्र में भी सांडों के खेल के लिए कानून पास किया गया.


इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक बार याचिका दायर कर इसे रोकने की मांग की गई. पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया लेकिन पुनर्विचार याचिका के बाद सुनवाई के लिए तैयार हो गया.


बड़ी बेंच को केस ट्रांसफर


2018 में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस नरीमन की पीठ ने कहा कि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक बड़ी पीठ द्वारा निर्णय लेने की आवश्यकता है क्योंकि उनमें संविधान की व्याख्या से जुड़े पर्याप्त सवाल शामिल हैं.


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