नई दिल्ली: राफेल डील पर सवाल उठाने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार के लिए बड़ी जीत मानी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकार का फैसला विवेकपूर्ण और देशहित में है. कीमत से भारत को व्यवसायिक लाभ हुआ है. ऑफसेट पार्टनर के चयन में सरकार की भूमिका का प्रमाण नहीं मिला है. शीर्ष अदालत ने माना कि भारतीय वायुसेना में राफेल की तरह के चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की जरूरत है. पांच बड़ी बातें-


1. कोर्ट ने कहा कि सितंबर 2016 में जब राफेल सौदे को अंतिम रूप दिया गया था, उस वक्त किसी ने खरीदी पर सवाल नहीं उठाया था.


2. शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है.


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3. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर निर्णय लेना अदालत का काम नहीं है.


4. पीठ ने कहा कि देश को लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश लड़ाकू विमानों के बगैर नहीं रह सकता है.


5. राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई अवसर नहीं है.


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