नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में फैसलों के लिहाज से अहम दिन है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले प्रमोशन में आरक्षण को हरी झंडी दी. इसके बाद आधार को संवैधानिक दर्जा देने का फैसला सुनाया. इसके बाद तीसरे अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के सीधे प्रसारण को हरी झंडी दे दी है. यानी टीवी पर घर बैठकर आप मुकदमे की सुनवाई और फैसला देख सकेंगे. कोर्ट ने इस महत्वपूर्ण फैसले को सुनाते हुए कहा, ''भारत में कोर्ट सबके लिए खुला रखने की व्यवस्था, लोगों को कोर्ट आने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. सरकार इसके लिए ज़रूरी नियम बनाए.'' कोर्ट ने इस दलील को भी मान लिया कि जरूरी नहीं टीवी पर टेलीकास्ट हो इसके लिए अलग से वेबसाइट की जा सकती है.


आधार पर सरकार ने क्या फैसला दिया?
धार की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. पांच जजों की बेंच में तीन जजों ने बहुमत से फैसला सुनाते हुए आधार को संवैधानिक मान्यता दे दी. इसके साथ ही कोर्ट ने कई शर्तें भी लगाई हैं. तीन जजों ने बहुमत से फैसला पढ़ते हुए कहा कि बैंकिंग और मोबाइल सेवाओं के लिए आधार जरूरी नहीं है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार आम नागरिक की बड़ी पहचान बन गई है, पिछले कुछ दिनों में आधार की सबसे ज्यादा चर्चा हुई. इसके साथ ही कोर्ट ने पैन कार्ड बनवाने और आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए आधार को अनिवार्य किया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि निजी कंपनी, व्यक्ति या कॉर्पोरेट्स आधार नहीं मांग सकते.


प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में नागराज बनाम भारत सरकार के फैसले को बरकरार रखा और इस मामले में आए फैसले पर दोबारा विचार करने से इनकार कर दिया है. लेकिन अदालत ने फैसले के कुछ हिस्से में बदलाव कर दिया है, जिससे प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के नागराज फैसले में बदलाव करते हुए उसमें आरक्षण के लिए आंकड़े जुटाना जरूरी नहीं रखा है.