UP Madarasa Act: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें यूपी मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मदरसा 12वीं कक्षा तक के सर्टिफिकेट दे सकेंगे, लेकिन इसके आगे के सर्टिफिकेट देने का उन्हें अधिकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के का फैसले पर अब पूरे देश से प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि हाई कोर्ट का जो फैसला था वह तथ्यों के आधार पर नहीं था बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण था. सुप्रीम कोर्ट ने भी दो दिन पहले टिप्पणी की थी कि छोटे कोर्ट में जो फैसले होते हैं वो गलत होते हैं और इंसाफ नहीं मिलता है. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला एक अच्छा फैसला है और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है.
'मदरसे ही नहीं गुरुकुल भी है शामिल'
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहमियत पर बात करते हुए मौलाना महमूद मदनी ने एबीपी न्यूज से कहा कि ये एक्ट जो बना है सिर्फ मदरसे के लिए नहीं है बल्कि गुरुकुल भी इसमें शामिल हैं. इसमें अलग-अलग धर्मों के संस्थान शामिल हैं. उसमें एक सिर्फ छोटा सा पार्ट मदरसे का भी है.
'मदरसों से जुड़े लोगों के लिए संतोष भरा फैसला'
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि ये न केवल न्याय की जीत है बल्कि भारतीय मुसलमानों और विशेष रूप से मदरसों से जुड़े लोगों के लिए संतोष और प्रोत्साहन का कारण भी है. हम इसे केवल मदरसा बोर्ड के परिप्रेक्ष्य में नहीं देख रहे हैं, बल्कि मदरसों के संबंध में सांप्रदायिक तत्वों की चल रही नकारात्मक मुहिम के संदर्भ में यह एक महत्वपूर्ण फैसला है.
‘जियो और जीने दो’ के पीछे छिपा संदेश
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जिस तरह सांप्रदायिक ताकतें और सत्ता में बैठे कई मंत्री खुलेआम हिंसा की अपील कर रहे हैं, मदरसों के अस्तित्व पर हमला कर रहे हैं, इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ‘जियो और जीने दो’ में महत्वपूर्ण संदेश छुपा है.