नई दिल्ली: अब जब सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी के बड़े नेताओं पर साज़िश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. इस वक़्त बीजेपी के तीन बड़े नेताओं का राजीतिक भविष्य दांव पर लग गया है.


ये तीन नेता हैं बीजेपी की सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती और राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह.


लालकृष्ण आडवाणी


जुलाई महीने में देश को नया राष्ट्रपति मिलना है और इस रेस में लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल माने जा रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद उनके लिए ये राह मुश्किल लग रही है. खुद उनका नैतिक अतीत उनके लिए रोड़ा है. जब 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी पीएम बने तब आडवाणी जैन हावाला कांड में नाम आने के कारण उनकी कैबिनेट का सदस्य रहना गवारा नहीं किया. अब सवाल है कि क्या आडवाणी खुद ही राष्ट्रपति की रेस से बाहर होने का एलान करेंगे.


नैतिक दबाव के साथ ही आडवाणी पर कानूनी दबाव भी हैं. कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि आडवाणी अब राष्ट्रपति की रेस से बाहर हो चुके हैं.


उमा भारती


उमा भारती इस वक़्त मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं और इस केस में वो भी नामज़द हैं ऐसे में उनपर भी नैतिक दबाव है कि क्या वो अपने मंत्री पद से इस्तीफा देती हैं. उनका अपना नैतिक आचरण भी यही बताता है कि उनके लिए पद पर रहना आसान नहीं होगा. जब 2004 में उमा भारती का नाम हुबली दंगे में आया तो उन्होंने मध्यप्रदेश की सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. अब उनके सामने सवाल है कि क्या अब वो अपने पद से इस्तीफा देंगीं?


नैतिक दबाव के साथ ही उमा भारती पर कानूनी दबाव भी हैं.


कल्याण सिंह


कल्याण सिंह इस वक़्त राजस्थान के राज्यपाल हैं. इस केस में वो भी नामजद हैं, लेकिन बतौर राज्यपाल उनपर कानूनी इम्यूनिटी मिली हुई है. लेकिन उनपर भी नैतिक दबाव है कि वो क्या फैसला लेते हैं.