कोलकाता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गांगुली इन दिनों फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह 2 है. पहला, पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के दौरान टीवी मीडिया को दिया एक इंटरव्यू और दूसरा, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को दिया एक आदेश.
जस्टिस गांगुली पहले भी अपने फैसले, टिप्पणी और कामकाज के तरीके को लेकर चर्चा में रहे हैं. 61 साल के गांगुली साल 2018 में कोलकाता हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए थे. 2020 में उनकी नियुक्ति स्थाई हुई थी. तब से गांगुली कोलकाता हाईकोर्ट में ही अपनी सेवा दे रहे हैं.
हाजरा कॉलेज से लॉ की पढ़ाई करने वाले जस्टिस गांगुली राज्य सेवा के अधिकारी भी रहे चुके हैं. हालांकि, इस्तीफा देकर प्रैक्टिस में आ गए. आइए इस स्टोरी में जस्टिस अभिजीत गांगुली से जुड़े 5 किस्से जानते हैं...
1. पत्रकारों से कहा- सुनवाई की वीडियोग्राफी करें
अगस्त 2022 में पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अभिजीत गांगुली ने पत्रकारों से कहा कि यहां जो कुछ भी चल रहा है, आप उसका वीडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं.
जज के इस आदेश का वहां मौजूद वकीलों ने जमकर विरोध किया. वकीलों का कहना था कि इस तरह के आदेश से कोर्ट मछली बाजार बनकर रह जाएगा.
दरअसल, उस दिन कोलकाता हाईकोर्ट में तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता अनुब्रत मंडल की बेटी सुकन्या की पेशी थी. वकीलों का कहना था कि इस तरह के आदेश से पब्लिसिटी बटोरी जा रही है.
इस पर जज गांगुली ने कहा था कि आपको अवमानना का सामना करना पड़ सकता है. जस्टिस गांगुली के इस फैसले ने खूब सुर्खियों बटोरी थी.
2. नाम लिए बगैर ममता बनर्जी की कविता पर टिप्पणी
बंगाल सरकार ने ममता बनर्जी की कविता और किताब को सभी सरकारी लाइब्रेरी में रखने का आदेश दिया. इस पर जस्टिस गांगुली ने निशाना साधा था. ममता की कविता पर उनकी टिप्पणी खूब सुर्खियां बटोरी थी.
जनवरी 2023 में एक कार्यक्रम में जस्टिस गांगुली ने मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर कहा कि एपांग, ओपंग और झपांग को कौन पढ़ना चाहेगा? उन्होंने कहा राज्य सरकार इसे पुस्तकालय में रखकर पैसा न बर्बाद करें.
जस्टिस गांगुली के इस टिप्पणी पर राज्य सरकार ने निशाना साधा था. सरकार के पुस्तकालय मंत्री ने कहा था- जरूरी नहीं है कि हर बार जज के बातों में तर्क हो.
बंगाल सरकार के मंत्री ने ममता की कविता का बचाव करते हुए कहा कि जज साहब कुछ कहते हैं तो यह ईश्वर की वाणी नहीं है, इसलिए इसे सही नहीं कहा जा सकता है. बंगाल में सरकारी पुस्तकालयों में कई तरह की किताबें रखी हुई है.
3. सीबीआई से कहा- प्रधानमंत्री से शिकायत कर दूंगा
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले की धीमी जांच पर जस्टिस अभिजीत गांगुली ने नाराजगी जताई थी. जस्टिस गांगुली ने सीबीआई अधिकारियों से कहा कि भ्रष्टाचार की जांच धीमा होने का मतलब है कि भ्रष्टाचार हो रहा है.
उन्होंने अधिकारियों से सख्त लहजे में कहा कि अगर ठीक ढंग से काम नहीं किया तो प्रधानमंत्री मोदी से सबकी शिकायत कर दूंगा. इतना ही नहीं, अधिकारियों को चेतावनी देते हुए जस्टिस गांगुली ने कहा कि सभी की संपत्ति जांच का आदेश दे दूंगा.
जस्टिस गांगुली ने सीबीआई के वकील से कहा कि इसे गंभीरता से लीजिए और अभ्यर्थियों को न्याय दिलवाइए. 2021 में पश्चिम बंगाल भर्ती घोटाले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपी गई थी.
तृणमूल कांग्रेस ने हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले के खिलाफ बंगाल सरकार को कोई राहत नहीं मिली.
4. सुनवाई में कहा- टीएमसी का सिंबल वापस लेने के लिए कह सकता हूं
शिक्षक भर्ती घोटाले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गांगुली की एक टिप्पणी काफी विवादों में रही थी. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि मैं चुनाव आयोग से कह सकता हूं कि तृणमूल कांग्रेस का सिंबल वापस ले लें.
जस्टिस गांगुली ने आगे कहा कि दीदी इतने गुंडों से कैसे निपटती होगी? जस्टिस गांगुली के इस टिप्पणी पर खूब बवाल मचा और तृणमूल ने विरोध में मोर्चा खोल दिया.
तृणमूल कांग्रेस ने जस्टिस गांगुली के इस बयान पर कहा- जज राजनीति में जाने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए माहौल बना रहे हैं. हालांकि, विरोध के बाद जस्टिस गांगुली ने कहा कि मुख्यमंत्री अच्छा काम कर रही हैं.
गांगुली ने कहा कि मैं अब से तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. तृणमूल के लोग निश्चिंत रहे.
5. ढाई साल में 95 आदेश, इनमें भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी के खिलाफ अधिक
अगस्त 2022 में वकीलों ने जब जस्टिस अभिजीत गांगुली पर सिर्फ पब्लिसिटी के लिए केस सुनने का आरोप लगाया तो उन्होंने डेटा जारी कर दिया. जस्टिसी गांगुली ने कहा कि मैंने पिछले ढाई साल में 95 आदेश पारित किए हैं.
गांगुली ने कहा कि ढाई साल में 18 महीने तो कोर्ट का कामकाज कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित रहा, लेकिन इसके बावजूद मैंने रोज सुनवाई की. गांगुली के दिए आदेश में अधिकांश आदेश भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी से जुड़े मामले में दिए गए हैं.
जस्टिस गांगुली ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में ही करीब 10 अलग-अलग आदेश पारित किए. इनमें सीबीआई जांच के आदेश, पार्थ चटर्जी से पूछताछ, परेश अधिकारी की बेटी को नौकरी से हटाना जैसा आदेश भी शामिल था.
जस्टिस गांगुली ने बैरकपुर में ऑटो ड्राइवर के गुंडागर्दी के खिलाफ दाखिल एक याचिका पर कमिश्नर को तलब कर लिया था, जबकि पेंशन से जुड़े एक मामले में मेदिनीपुर कोर्ट के जज को बुला लिया था.
हालिया विवाद कैसे शुरू हुआ, क्या है मामला?
इसी महीने जस्टिस अभिजीत गांगुली की बेंच ने एक वीडियो को आधार बनाकर ईडी और सीबीआई से शिक्षक भर्ती घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से भी पूछताछ करने का आदेश दिया था.
अभिषेक बनर्जी ने कोलकाता हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को अंतरिम रोक लगा दी. अभिषेक के वकील ने सुनवाई कर रहे जज गांगुली पर ही सवाल उठाया.
24 अप्रैल को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस गांगुली के एक इंटरव्यू का जिक्र किया. सिंघवी ने कहा कि जस्टिस गांगुली का इंटरव्यू सुनिए वो क्या-क्या कह रहे हैं.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जज को इंटरव्यू देने से बचना चाहिए था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से इंटरव्यू की ट्रांसक्रिप्ट मंगवा कर देने के लिए कहा.
इंटरव्यू में जस्टिस गांगुली ने क्या कहा था?
सितंबर 2022 में एक टीवी इंटरव्यू में जस्टिस अभिजीत गांगुली ने अभिषेक बनर्जी के एक सवाल पर तल्ख टिप्पणी की थी. गांगुली ने कहा था कि जब अभिषेक ने न्यायपालिका को बीजेपी से जोड़ा तो मुझे उन्हें अवमानना का नोटिस भेजने का मन किया.
इतना ही नहीं, भ्रष्टाचार मामले में जांच और सुनवाई की प्रक्रिया पर भी उन्होंने बात की. जस्टिस गांगुली ने कहा कि लोग मुझे भगवान कहते हैं, लेकिन मैं सिर्फ संविधान की बात करता हूं. उन्होंने कहा था कि आगे से अभिषेक अगर ऐसी बातें करते हैं तो मैं उन्हें न्यायपालिका की शक्ति बता दूंगा.
सुप्रीम कोर्ट का एक्शन और फिर शुरू हुआ बवाल
इंटरव्यू सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को एक फैसला देते हुए कोलकाता हाईकोर्ट से कहा कि शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े सारे केस जस्टिस अभिजीत गांगुली से ले लिया जाए. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान जजों को सार्वजनिक बयान देने से बचना चाहिए.
सुप्रीम टिप्पणी के कुछ देर बाद ही जस्टिस गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को एक आदेश दे दिया. जस्टिस गांगुली ने आदेश में कहा कि इंटरव्यू की ट्रांसक्रिप्ट कॉपी मुझे भी दी जाए, जो चीफ जस्टिस के पास रखा गया है.
जस्टिस गांगुली ने कहा कि मैं इस कॉपी का रात 12.30 बजे तक अपने चेंबर में इंतजार करूंगा. जस्टिस गांगुली के इस आदेश से सुप्रीम कोर्ट हिल गई. आनन-फानन में जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस कोहली की बेंच सुनवाई के लिए रात 8 बजे बैठी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या यह सही तरीका है? मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट के जज को इससे बचना चाहिए. इस पर जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि यह न्यायिक अनुशासन के खिलाफ है.
कोर्ट ने सुनवाई कर जस्टिस गांगुली के आदेश पर रोक लगा दिया और रजिस्ट्रार जनरल से तुरंत उन्हें सूचित करने के लिए कहा.
सुप्रीम फैसले के बाद क्या बोले जस्टिस गांगुली?
देर रात सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिलने के बाद जस्टिस गांगुली ने कोलकाता हाईकोर्ट के कैंपस में पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने कोर्ट के आदेश पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि अब शायद ही बच्चों को नौकरी मिल सके.
जस्टिस गांगुली के इस्तीफे की अटकलें बंगाल में लगने लगी थी, जिसका उन्होंने खंडन भी किया. गांगुली ने कहा कि शिक्षक भर्ती का मामला कोर्ट में ही रहेगा. मेरा इसमें व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि मैं जज रहूं या कुछ और उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता रहूंगा. सुप्रीम कोर्ट के बारे में पूछे गए सवाल पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा- सिर्फ एक लाइन कहूंगा, जुग-जुग जियो.