'कोर्ट को गुमराह किया तो...', सड़क दुर्घटनाओं से जुड़ी योजना को लेकर दिल्ली सरकार पर नाराज सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर एलजी दफ्तर पर फंड जारी करने में रोड़ा अटकाने का आरोप लगाया है. जवाब में एलजी कार्यालय ने कोर्ट में बताया कि एलजी को इस मामले में बेवजह घसीटा गया है.
सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के इलाज से जुड़ी योजना 'फरिश्ते दिल्ली के' को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चेतावनी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर उसने याचिका के जरिए कोर्ट को गुमराह किया होगा, तो भारी जुर्माना लगाया जाएगा.
दरअसल, दिल्ली सरकार ने एलजी दफ्तर पर फंड जारी करने में रोड़ा अटकाने का आरोप लगाया है. जवाब में एलजी कार्यालय ने कोर्ट में बताया कि एलजी को इस मामले में बेवजह घसीटा गया है, जबकि उनका इस मामले से को लेना-देना नहीं है. इस योजना पर फैसला दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री की कमेटी करती है.
क्या है फरिश्ते योजना?
दरअसल, दिल्ली सरकार की इस योजना के तहत कोई भी शख्स अगर सड़क हादसे में घायल होता है, तो उसे निजी अस्पताल में इलाज की सुविधा मिलती है. इसका पूरा खर्चा दिल्ली सरकार उठाती है. केजरीवाल सरकार ने इसे 2018 में शुरू किया था.
हालांकि, यह योजना फंड की कमी से बंद हो गई थी. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि एलजी दफ्तर इस योजना के तहत फंड को रिलीज नहीं कर रहा है. इतना ही नहीं AAP ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर योजना को फिर से शुरू करवाने की मांग की थी. सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एलजी वीके सक्सेना और स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर 'फरिश्ते' योजना में जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का आरोप लगाया था. वीके सक्सेना ने कहा था कि दिल्ली सरकार अपनी विफलताओं के लिए दूसरों को दोषी ठहरा रही है. उन्होंने कहा, मुझे इस बात का आश्चर्य है कि आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला दाखिल कर आरोप लगाया है कि वे इस योजना को रोकने के लिए जिम्मेदार हैं.