सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड जारी करने में देरी बरतने पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के रवैये पर चिंता जताते हुए कहा कि हमने अपना धैर्य खो दिया है. कोर्ट ने राशन कार्ड को लेकर स्टेटस रिपोर्ट मांगी और कहा, 'हम पहले ही साफ कर चुके हैं कि ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड राशन कार्डों के आधार पर बाकी राशन कार्ड जारी किए जाने हैं. क्या ये काम पूरा हो चुका है? क्योंकि तभी आगे बढ़ा जा सकता है.' कोर्ट को जब पता चला कि अभी तक यह काम पूरा नहीं हुआ है तो वह नाराज हो गया और केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसके लिए अंतिम मौका देते हुए 19 नवंबर तक का मौका दिया है. कोर्ट का गुस्सा इस बात पर फूटा है कि 19 मार्च को पिछली सनुवाई में राशन कार्ड जारी करने के लिए दो महीने का समय दिया था.


जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानउल्लाह की बेंच ने कहा कि हमने अपना धैर्य खो दिया है, हम यह पूरी तरह से स्पष्ट कर रहे हैं कि और उदारता नहीं बरती जाएगी. कोर्ट ने कहा, 'हम आपको हमारे आदेश का पालन करने के लिए एक आखिरी मौका दे रहे हैं, वरना आपके सचिव को उपस्थित होना होगा.'


केंद्र की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि इस पर काम किया जा रहा है और राज्यों कोर्ट के आदेश का अनुपालन करना होगा और जवाब देना होगा. यह एक गतिशील प्रक्रिया है. ऐश्वर्या भाटी ने आगे कहा कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत प्राथमिकता वाले हर परिवार को केवल एक राशन कार्ड जारी किया जाता है. सरकार ने तर्क दिया कि परिवार के अन्य सदस्यों के लिए अतिरिक्त राशन कार्ड जारी न करने को कोर्ट की अवमानना के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. कोर्ट ने माना कि एश्वर्या भाटी की इस दलील में कुछ दम है. हालांकि, जस्टिस अमानउल्लाह ने सरकार के रवैये पर सख्त टिप्पणी की और कहा कि जो लोग इसके लिए योग्य हैं, उन्हें बिना देरी किए राशन कार्ड मुहैया करवाए जाने चाहिए.


जस्टिस अमानउल्लाह ने सख्त लहजे में आगे कहा, 'क्या यही सरकार की गंभीरता है? यहां देश के सबसे गरीब लोगों की बात हो रही है. अगर लापरवाही बरती जा रही है, तो कैबिनेट सेक्रेटरी मीटिंग क्यों नहीं करते हैं, इसलिए क्योंकि यह उनके लिए महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है?' अब सुप्रीम कोर्ट 19 नवंबर को अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने 19 मार्च को पिछली हियरिंग में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दो महीने के अंदर प्रवासी मजदूरों के लिए राशन कार्ड जारी करने का निर्देश दिया था.


यह मामला साल 2020 में कोविड महामारी की वजह से परेशान हुए प्रवासी मजदूरों से जुड़ा है. कोर्ट ने उनकी समस्याओं और दशा का संज्ञान लेने के बाद, 2020 में दर्ज स्वत: संज्ञान वाले एक मामले की सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने इससे पहले, केंद्र से एक हलफनामा दाखिल कर प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड प्रदान करने और उनके लिए अन्य कल्याणकारी कदम उठाने के संबंध में 2021 के फैसले और उसके बाद के निर्देशों के अनुपालन के बारे में विवरण देने को कहा था.


कोर्ट ने 29 जून 2021 के फैसले और उसके बाद के आदेशों में प्राधिकारों को कई निर्देश जारी कर उनसे कल्याणकारी उपाय करने को कहा था, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान समस्याओं का सामना करने वाले सभी प्रवासी श्रमिकों को 'ई-श्रम' पोर्टल पर पंजीकृत राशन कार्ड देना भी शामिल है. 'ई-श्रम' केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया असंगठित श्रमिकों (एनडीयूडब्ल्यू) का एक व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य देश भर में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के वास्ते सामाजिक सुरक्षा उपायों को सुविधाजनक बनाना है.


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