Jammu Kashmir Delimitation: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सोमवार (13 फरवरी) को फैसला सुनाएगा. श्रीनगर के रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिकाओं में कहा गया है कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इस दलील को गलत बताया है.


13 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नोटिस जारी किया था. तब कोर्ट ने साफ किया था कि सुनवाई सिर्फ परिसीमन पर होगी. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े मसले पर विचार नहीं किया जाएगा. पिछले साल 1 दिसंबर को जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था.


याचिकाकर्ता ने ये दलील दी


सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पक्ष ने दलील दी थी कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए आयोग का गठन संवैधानिक प्रावधानों के हिसाब से सही नहीं है. परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई है. उसमें नए इलाकों को शामिल किया गया है. सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई है, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की भी 24 सीटें शामिल हैं. यह जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 के मुताबिक नहीं है. 


केंद्र सरकार ने क्या कहा?


केंद्र सरकार की तरफ से जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 2, 3 और 4 के तहत संसद को देश में नए राज्य या प्रशासनिक इकाई के गठन और उसकी व्यवस्था से जुड़े कानून बनाने का अधिकार दिया गया है. इसी के तहत पहले भी परिसीमन आयोग का गठन किया जाता रहा है. इसके अलावा, याचिकाकर्ता का ये कहना भी गलत है कि परिसीमन सिर्फ जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में ही लागू किया गया है. इसे असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड के लिए भी शुरू किया गया है. 


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