नई दिल्ली: प.बंगाल के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ की सीबीआई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कल आदेश देगा. सीबीआई ने शारदा चिटफंड मामले में एसआईटी प्रमुख रहे राजीव कुमार पर सबूत मिटाने और जांच में असहयोग का आरोप लगाते हुए गिरफ्तारी की मांग की है. प.बंगाल सरकार और राजीव कुमार ने इसे साज़िश बताया है, सीबीआई पर बीजेपी के इशारे पर काम का आरोप लगाया है. राजीव कुमार वही अफसर ( पूर्व कमिश्नर) हैं जिनको कल चुनाव आयोग ने बंगाल से तबादला कर गृह मंत्रालय में रिपोर्ट करने को कहा था.


बता दें कि फरवरी महीने में राजीव कुमार जब कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर थे तब सीबीआई की 40 सदस्यों की टीम पूछताछ के लिए पहुंची थी. लेकिन वहां मौजूद कर्मियों ने सीबीआई की टीम को रोक दिया था. बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया था. यहीं से सीबीआई और ममता सरकार के बीच तनातनी शुरू हो गई.


ममता बनर्जी राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताते हुए धरने पर बैठ गईं, तीन दिनों तक यह धरना चला. इस दौरान करीब-करीब 20 विपक्षी पार्टियों ने ममता का साथ दिया. वहीं सरकार ने शारदा चिटफंड में घोटाले की जांच की दलील देते हुए कार्रवाई को सही बताया. ममता बनर्जी के साथ दरने पर खुद राजीव कुमार भी बैठे.


पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में गया, कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर कहा कि राजीव कुमार जांच में सहयोग करें हालांकि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए. जिसके बाद उनसे शिलॉन्ग में पूछताछ का आदेश दिया गया. शिलॉन्ग राजीव कुमार से सीबीआई कई दौर की पूछताछ कर चुकी है और अब उन्हें हिरासत में लेकर


राजीव कुमार से पूछताछ क्यों?
दरअसल, शारदा चिटफंड मामले में पश्चिम बंगाल की सरकार ने एक एसआईटी का गठन किया था और उसका प्रमुख राजीव कुमार को नियुक्त किया गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई. अब सीबीआई का आरोप है कि राजीव कुमार ने कुछ लोगों को बचाने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ की.