Supreme Court on Arvind Kejriwal Bail Plea: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की ओर से सीबीआई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 20 अगस्त को सुनवाई करेगा. अरविंद केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस को बताया कि रजिस्ट्री ने इस केस को 20 अगस्त के लिए लिस्ट करने की बात कही है.


अभिषेक मनु सिंघवी ने यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि मामला लिस्ट में बना रहे. इस पर चीफ जस्टिस ने अपनी सहमति जताई. ED वाले केस में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे रखी है, लेकिन CBI वाले केस में अभी तक उन्हें जमानत नहीं मिली है. दिल्ली हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका खारिज की थी और उन्हें जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने को कहा था.


ईडी वाले केस में मिल चुकी है जमानत


बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग यानी पीएमएलए केस में ईडी की तरफ से गिरफ्तारी वाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत दे दी थी. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 जून को इस आदेश पर रोक लगा दी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी, जहां से उन्हें 12 जुलाई को अंतरिम जमानत मिल गई थी. हालांकि सीबीआई ने भी उन्हें गिरफ्तार कर रखा है इस वजह से वह जेल में हैं. उन्होंने सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है. 


क्या है अरविंद केजरीवाल पर आरोप?


नवंबर 2021 में शुरू की गई आबकारी नीति के तहत दिल्ली सरकार ने शराब की खुदरा बिक्री से हाथ खींच लिया और निजी लाइसेंसधारियों को दुकानें चलाने की अनुमति दे दी. जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने दिल्ली सरकार की इस पॉलिसी पर सवाल उठाया और कहा कि इसमें कई नियमों का उल्लंघन किया गया है. यह सब शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है. उन्होंने सितंबर 2022 में यह पॉलिसी रद्द कर दी. इसके बाद मामले में ईडी की एंट्री हुई और उसने रिश्वत लेने और मनी लॉन्ड्रिंग का केस बताते हुए केजरीवाल को गिरफ्तार किया. बाद में इस केस में सीबीआई की भी एंट्री हुई. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि शराब कंपनियां आबकारी नीति तैयार करने में शामिल थीं, जिससे उन्हें 12% लाभ होता. इसने कहा गया कि साउथ ग्रुप नामक एक शराब लॉबी ने AAP को ₹100 करोड़ की रिश्वत दी थी, जिसका एक हिस्सा लोक सेवकों को दिया गया था.


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