Supreme Court: पीएमएलए मामले सुप्रीम कोर्ट की ओर से पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है. चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कहा- यह कानून बहुत अहम है. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ 2 पहलू को दोबारा विचार लायक मानते हैं-


* ECIR (ED की तरफ से दर्ज FIR) की रिपोर्ट आरोपी को न देने का प्रावधान


* खुद को निर्दोष साबित करने का ज़िम्मा आरोपी पर होने का प्रावधान


इससे पहले, बुधवार को कोर्ट ने इस मामले में खुली अदालत में सुनवाई और मौखिक दलीलें रखने की इजाजत मांगने वाली अर्जी को स्वीकार कर लिया था और मामले को गुरुवार को खुली अदालत में सुनवाई के लिए निर्देश दिया था. न्याधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने बुधवार को कहा कि मौखिक सुनवाई के लिए अर्जी मंजूर की जाती है. मामले को 25 अगस्त, 2022 को सूचीबद्ध किया जाता है. पीठ ने अदालत में कार्ति की पुनर्विचार याचिका पर गौर करते हुए ये बात कही. कार्ति ने सुप्रीम कोर्ट में ईडी की शक्तियों को बरकरार रखने के 27 जुलाई के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए याचिका दाखिल की थी.


PMLA पर सुप्रीम कोर्ट


इससे पहले पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था. प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से दर्ज केस में फंसे लोगों को झटका देते हुए कोर्ट ने पीएमएलए कानून के प्रवाधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि साल 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के सभी अधिकारों को बरकरार रखा था.


क्या कहा गया है याचिका में


इन याचिकाओं में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों को चुनौती दी गई है. इनमें पीएमएलए के तहत अपराध की आय की तलाशी, गिरफ्तारी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए ईडी (ED) को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई. इसमें कहा गया है कि ये प्रावधान मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं. कार्ति चिदंबरम (Karthi Chidambaram) की पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनाई के कोर्ट के फैसले के गहरे मायने हैं.


ये भी पढ़ें: Money Laundering Case: 'मेरी संपति खुद की कमाई की'- जैकलीन फर्नांडिस ने मनी लॉन्ड्रिंग केस पर दी सफाई


ये भी पढ़ें: क्या है ED का PMLA कानून, जिसने दिग्गज नेताओं को पहुंचा दिया सलाखों के पीछे, जानिए इसके बारे में सबकुछ