(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Electoral Bond Case: SBI को मिलेगी मोहलत या होगा एक्शन? चुनावी बॉन्ड केस में 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 15 मार्च तक सभी डोनर-डोनेशन का खुलासा करने का आदेश दिया था. इससे पहले SBI को चुनावी बॉन्ड का ब्यौरा 6 मार्च तक आयोग को सौंपने के निर्देश दिये थे.
Supreme Court on Electoral Bond Case: सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की बेंच सोमवार (11 मार्च) को भारतीय स्टेट बैंक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करेगी. इस याचिका में एसबीआई ने राजनीतिक दलों की ओर से अब तक भुनाए गए चुनावी बॉन्ड की डिटेल का पूरा खुलासा करने के लिए 30 जून तक की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी. यह सब कुछ शीर्ष कोर्ट की ओर से चुनावी बॉन्ड योजना को 'असंवैधानिक' करार देकर रद्द किए जाने के फैसले के तुरंत बाद आया है.
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अदालत एसबीआई की ओर से दायर समय सीमा बढ़ाने की मांग वाली याचिका के अलावा एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ इस अलग याचिका पर भी उस दिन सुनवाई करेगी जिसमें चुनावी बॉन्ड मामले में एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है.
चुनाव आयोग को 15 मार्च तक करना था डोनर-डोनेशन का खुलासा
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की ओर से 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक निर्णय दिया था जिसमें केंद्र की चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था. इस स्कीम के तहत राजनीतिक दलों को अनाम फंडिंग की अनुमति दी थी. इस पॉलिसी को सुप्रीम कोर्ट ने 'असंवैधानिक' कहा था. शीर्ष अदालत की पीठ ने चुनाव आयोग को 15 मार्च तक सभी दानदाताओं की ओर से डोनेट की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने का भी आदेश दिया था.
SBI को ईसीआई को 6 मार्च तक सौंपनी थी चुनावी बॉन्ड डिटेल
शीर्ष अदालत ने अपने पिछले आदेश में इस स्कीम को तुरंत बंद करने के आदेश दिए थे. साथ ही इस योजना की अधिकृत वित्तीय संस्था एसबीआई को 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का ब्यौरा 6 मार्च तक चुनाव आयोग को सौंपने के निर्देश दिये थे. जिसके बाद चुनाव आयोग 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इससे जुड़ी जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में यह सब कहा था.
चुनावी बॉन्ड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) संस्था की ओर से दायर की गई थी. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 15 फरवरी को इस चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक कहा था.