Supreme Court Recalls BJP Fine: सुप्रीम कोर्ट से बीजेपी को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में प्रत्याशियों के आपराधिक इतिहास सार्वजनिक न करने पर अवमानना का दोषी ठहराते हुए एक लाख रुपये जुर्माने का फैसला वापस ले लिया है. बीजेपी महासचिव बीएल संतोष की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका पर कोर्ट ने माना कि पार्टी ने जानबूझकर उसके आदेश की अवज्ञा नहीं की थी.


सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2021 में बीजेपी समेत 8 पार्टियों पर जुर्माना लगाया था. बीजेपी के अलावा सात अन्य दलों को भी अवमानना का दंड दिया गया था. इसमें CPI(M) और NCP पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जबकि कांग्रेस, राजद, जदयू, CPI और लोजपा पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.


बीजेपी पर क्यों लगा था जुर्माना


कोर्ट ने इस बात पर जुर्माना लगाया था कि दागी उम्मीदवारों का चयन क्यों किया गया और इसके अलावा पार्टी को दागी प्रत्याशियों का आपराधिक अतीत सार्वजनिक करना था. इसी वजह से बीजेपी पर एक लाख का जुर्माना लगाया गया था. कोर्ट में पार्टी महासचिव महासचिव बीएल संतोष ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. 


'जानबूझकर नहीं हुई अवज्ञा'


बीजेपी महासचिव की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा, "अदालत के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा नहीं की गई थी." पीठ ने भारत के चुनाव आयोग को पुनर्विचार याचिका में एक अतिरिक्त प्रतिवादी के रूप में जोड़ा और उसे नोटिस जारी किया था. यही नहीं पीठ ने अमिक्स क्यूरी के वी विश्वनाथन से भी सहायता करने को कहा था.


2020 में जारी किया था आदेश


बता दें कि फरवरी 2020 में राजनीति से अपराधीकरण को दूर को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अपने उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटों के भीतर या नामांकन के दो सप्ताह के भीतर, जो भी पहले हो, उनके उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का विवरण व्यापक रूप से प्रचारित करें. 


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