नई दिल्ली: अब से राज्यसभा चुनाव में 'इनमें से कोई नहीं' यानी 'NOTA' का विकल्प नहीं रखा जा सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी चुनाव आयोग की अधिसूचना को गलत करार दिया है. कोर्ट ने कहा है, "राज्यसभा चुनाव में NOTA का विकल्प पार्टी विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देगा. इससे लोकतंत्र की शुद्धता प्रभावित होगी."
पिछले साल गुजरात में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता शैलेश परमार ने याचिका दाखिल कर NOTA का विकल्प रखे जाने का विरोध किया था. लेकिन तब कोर्ट ने ये कहते हुए रोक से मना कर दिया था कि ये विकल्प पिछले 3 साल से चलन में है.
बाद में इस मसले पर विस्तृत सुनवाई हुई. आज दिए फैसले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने ने कहा है, "NOTA का विकल्प लोकतंत्र के लिए अच्छा है. डायरेक्ट इलेक्शन यानी सीधे आम जनता की वोटिंग वाले चुनाव में ये लोगों को ये बताने का मौका देता है कि उन्हें कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं. लेकिन राज्यसभा चुनाव जैसे इनडायरेक्ट इलेक्शन, जहां विधायकों को पार्टी की लाइन के हिसाब से वोट करना होता है, वहां ऐसा विकल्प रखना सही नहीं है."