नई दिल्ली: पहली से आठवीं कक्षा तक हिंदी भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य बनाने की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा-इस तरह की नीति बनाना सरकार का काम है. कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा.


याचिका में 1968 में तैयार त्रि-भाषा फॉर्मूले की बात उठाई गई है. इसमें हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी, अंग्रेजी के साथ एक भारतीय भाषा पढ़ाने और गैर हिंदी भाषी राज्यों में वहां की प्रादेषिक भाषा के साथ हिंदी और अंग्रेजी पढाने की बात कही गई थी.


हालांकि, कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से ही मना कर दिया. कोर्ट ने कहा-कल कोई संस्कृत या पंजाबी के लिए ऐसी ही मांग रखेगा. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय बीजेपी से हैं. याचिकाकर्ता खुद सरकार के सामने अपनी बात रखें.