एक्सप्लोरर
Advertisement
व्यभिचार के लिए सिर्फ पुरूष को सज़ा देने वाले कानून की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल
सरकार ने कोर्ट से इस याचिका को खारिज करने की मांग की. कहा कि विवाह जैसी संस्था को बचाने के लिए ये धारा ज़रूरी है. सरकार ने बताया है कि IPC 497 में ज़रूरी बदलाव पर वो खुद विचार कर रही है.
नई दिल्ली: व्यभिचार यानी एडल्ट्री को अपराध करार देने वाली IPC की धारा 497 पर सुप्रीम कोर्ट कल फैसला देगा. याचिकाकर्ता ने इस कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग की है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी.
क्या है मामला
केरल के जोसफ शाइन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर IPC 497 को संविधान के लिहाज से गलत बताया है. याचिकाकर्ता के मुताबिक व्यभिचार के लिए 5 साल तक की सज़ा देने वाला ये कानून समानता के मौलिक अधिकार का हनन करता है. क्योंकि :-
- इस कानून के तहत विवाहित महिला से संबंध बनाने वाले मर्द पर मुकदमा चलता है. औरत पर न मुकदमा चलता है, न उसे सजा मिलती है.
- ये कानून पति को पत्नी से संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ मुकदमा करने का अधिकार देता है. लेकिन अगर पति किसी पराई महिला से संबंध बनाए तो पत्नी को शिकायत का अधिकार ये कानून नहीं देता.
- ये धारा कहती है कि पति की इजाज़त के बिना उसकी पत्नी से किसी गैर मर्द का संबंध बनाना अपराध है. ये एक तरह से पत्नी को पति की संपत्ति करार देने जैसा है.
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
दिल्ली NCR
बॉलीवुड
आईपीएल
Advertisement