Gyanvapi Mosque: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में आज सुबह 8 बजे से फिर सर्वे होने वाला है. सर्वे करने के लिए टीम मस्जिद के अंदर जा सकेगी साथ थी कैमरा भी साथ ले जाया जाएगा. कोर्ट के आदेश के बाद पूरे मस्जिद परिसर के सर्वे का काम आज फिर शुरू हो जाएगा. इससे पहले शुक्रवार को कोर्ट कमिश्नर ने दोनों पक्षों के साथ बैठक कर सर्वे का प्लान बनाया.
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में चल रहे सर्वे के बीच 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट' (Place of Worship Act) एक बार फिर चर्चा में है. 1991 में बना यह कानून कहता है कि देश में सभी धार्मिक स्थलों की स्थिति वही बनाए रखी जाएगी, जो 15 अगस्त 1947 को थी.
आईये समझते हैं क्या है वर्शिप एक्ट और किन धार्मिक स्थलों पर विवाद है...
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को जानिए
एक्ट कब बना? -1991
मकसद- 1947 जैसी धार्मिक स्थलों की स्थिति
चुनौती दी- विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ
चुनौती कब- 14 जून 2020
चुनौती कहां- सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई- अभी तक नहीं
क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट?
पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए 1991 में कानून बनाया गया था. पूरा नाम प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट, 1991 है. ये एक्ट नरसिम्हा राव सरकार के समय बनाया गया था. इस एक्ट के बनाने की पीछे की असल वजह अलग-अलग धर्मों के बीच टकराव को टालने का था. इस एक्ट के मुताबिक, 15 अगस्त 1947 जैसी स्थिति हर धार्मिक स्थल की रहेगी इसके मुताबिक अगर 15 अगस्त 1947 को कहीं मंदिर है तो वो मंदिर ही रहेगा और कहीं मस्जिद है तो वो मस्जिद ही रहेगी. अयोध्या विवाद को इस कानून के तहत नहीं लाया गया. जून 2020 में इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.
आइये जानते हैं किन धार्मिक स्थलों पर विवाद?
ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी
क्या है विवाद?
मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा
शाही ईदगाह मस्जिद, मथुरा
क्या है विवाद?
मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा
कुतुबमीनार, दिल्ली
क्या है विवाद?
मंदिरों को तोड़कर मीनार बनाने का दावा
नाम बदलकर विष्णु स्तंभ रखने की मांग
ताजमहल, आगरा
क्या है विवाद?
शिव मंदिर की जगह पर ताजमहल बनाने का दावा
अटाला मस्जिद, जौनपुर
क्या है विवाद?
अटला देवी का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा
भोजशाला, धार
क्या है विवाद?
पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग
नमाज पढ़ने से रोक की मांग
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