Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह से कम होगा युवाओं को तनाव? सर्वे में चौंकाने वाला जवाब
Same-Sex Marriage: देश में समलैंगिक विवाह को लेकर सुनवाई जारी है. केंद्र सरकार पहले ही इसका विरोध दर्ज करा चुकी है. जानिए लोगों का क्या कहना है.
Same-Sex Marriage Survey: भारत में समलैंगिक विवाह का मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है. केंद्र सरकार ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अपना विरोध जाहिर किया है. केंद्र का कहना है कि यह केवल एक एलीट अर्बन सोच है और सुप्रीम कोर्ट को इसपर फैसला लेने का अधिकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने भी इस मामले में सुनवाई शुरू कर दी है. इस बीच एक सर्वे भी किया गया. मनोवैज्ञानिक, शोधकर्ता और शिक्षाविदों की टीम ने सर्वे में पता लगाने की कोशिश की है कि सेम सेक्स मैरिज को लीगल करने से क्या प्रभाव पड़ेगा.
हाल ही में हुए इस सर्व से पता चला है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से LGBTQ युवाओं के बीच चिंता, डिप्रेशन और आत्महत्या के विचार कम होंगे. सर्व से पता चलता है कि कई लोग इसका सपोर्ट करते हैं और अगर इसे लीगल किया जाता है तो इसका समर्थन भी करेंगे. लोगों का कहना है कि इससे LGBTQIA समुदायों के सदस्यों और परिवारों को सकारात्मक और बेहतर सामाजिक, कानूनी और मेंटल हेल्थ का लाभ मिलेगा.
'कानूनी अधिकारों का मिलेगा लाभ'
यह सर्वे एक ऑनलाइन क्वेशनायर की मदद से किया गया. इसमें देशभर के 27 राज्यों के 18 से 60 साल से अधिक आयु के 5,825 व्यक्ति शामिल थे. इनमें से 37 प्रतिशत LGBTQ+ के रूप में अपनी पहचान रखते हैं. सर्वे में शामिल 95 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे LGBTQ+ व्यक्तियों के लिए विवाह के वैधीकरण का स्वागत करेंगे क्योंकि इससे भलाई, कानूनी सुरक्षा और कानूनी अधिकारों तक पहुंच में सुधार होगा.
मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा असर
लगभग 87 प्रतिशत ने सहमति व्यक्त की कि सेम सेक्स मैरिज को लीगल बनाने से भारत में ऐसे लोगों और उनके परिवारों के व्यक्तिगत और सामूहिक मानसिक स्वास्थ्य पर समान सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. एक व्यक्ति ने कहा कि अस्वीकृति, भेदभाव और हिंसा का डर तनाव और चिंता को बढ़ा देता है. समलैंगिक विवाह को वैध बनाना रिश्तों के लिए अधिक स्थिर और सुरक्षित कानूनी ढांचा प्रदान करके इस तनाव को कम कर सकता है.
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