नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत मामले में शामिल किरदारों की सीडीआर, व्हाट्सएप चैट और अन्य अहम जानकारियां किस-किस पुलिस अधिकारियों ने निकलवाईं, खुफिया एजेंसियों ने इसकी जांच शुरू कर दी है. इस मामले में शक है कि अरुण जेटली कांड की तर्ज पर इस मामले में शामिल किरदारों की व्यक्तिगत जानकारियां अवैध तरीके से भी निकलवाई गई हैं, जिनका उपयोग किया जा रहा है. खुफिया एजेंसियों के निशाने पर एक आईजी समेत कुछ दूसरे पुलिस अधिकारी भी हैं.


सुशांत सिंह राजपूत मामले में मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती समेत अनेक लोगों की व्हाट्सएप चैट सोशल मीडिया/मीडिया पर दिखाई दे रही है. इसके अलावा अनेक लोगों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड सामने आए हैं. जांच एजेंसी के एक आला अधिकारी के मुताबिक इस मामले में कथित आरोपी पूछताछ के दौरान बेहद सधे बयान दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें पहले से ही पता लग जाता है कि जांच एजेंसी के पास उनके खिलाफ कौन सा दस्तावेज है. उनके द्वारा कौन सी कही बात संदेहास्पद हो सकती है. जांच से जुड़े लोगों का मानना है कि कथित आरोपियों तक पहले ही यह बात पहुंच जा रही है कि उनके खिलाफ जांच एजेंसी के पास क्या दस्तावेज मौजूद हैं.


आखिर कौन है वो शख्स जो सीबीआई की जांच में रोड़े अटका रहा है? कौन है जिसने इन कथित आरोपियों के सीडीआर समेत अन्य अहम जानकारियां निकलवाई हैं? और क्या यह जानकारियां वैध तरीके से निकलवाई गई हैं जो लीक हो रही हैं? इस बाबत केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है. जांच इसलिए भी की जा रही है क्योंकि स्वर्गीय अरुण जेटली सीडीआर कांड में भी ऐसा ही कुछ हुआ था. जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक इस मामले में कथित आरोपी पक्ष और शिकायत पक्ष दोनों ही तरफ ऐसा देखा जा रहा है. इन लोगों तक वो बात पहले ही पहुंच जाती है, जो जांच एजेंसी पूछना चाहती है. मसलन शिकायतकर्ता पक्ष ने अपनी शिकायत में कहीं भी यह नहीं कहा कि उन्हें सुशांत के डिप्रेशन के बारे में पता था, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए जब व्हाट्सएप चैट सामने आए तो पता चला कि उनकी बहनें ही उन्हें दवाई देने के बारे में सलाह दे रही थीं. यही नहीं सोशल मीडिया में आने के बाद यह तीनों बहनें अपने वकील के पास भी पहुंच गईं.


इसी प्रकार कथित आरोपी पक्ष के लोगों द्वारा जो बयान दिए जा रहे हैं, वह अपने आप में बेहद सधे हुए हैं और कुछ सवालों के जवाब से तो साफ लगता है कि जवाब देने के पहले वकील से बाकायदा सलाह ली गई होगी. खुफिया एजेंसियां जानना चाहती हैं कि इस मामले में शामिल कथित आरोपियों के सीडीआर पर्सनल बैंक स्टेटमेंट, व्हाट्सएप चैट रिकॉर्ड, मुंबई पुलिस, बिहार पुलिस, ईडी और सीबीआई के अलावा किसने निकलवाए. अरुण जेटली कांड के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीडीआर समेत अहम जानकारियां निकालने के लिए कई कड़े नियम कानून बना दिए थे, जिनमें साफ तौर पर कहा गया था कि सीडीआर एसीपी लेवल से नीचे का अधिकारी निकाल ही नहीं सकता. खुफिया एजेंसी के एक आला अधिकारी ने कहा कि इस मामले में अहम तथ्य मिलने पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है.


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