प्रखर वक्ता और तेजतर्रार नेता की छवि रखने वाली सुषमा स्वराज अटल-आडवाणी युग के दिग्गज नेताओं में से एक थीं. सुषमा स्वराज ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की. साल 1970 में सुषमा स्वराज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गईं, उन्होंने जय प्रकाश नारायण के आंदोलन में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, बाद में सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गईं. उनके पति कौशल स्वराज दिग्गज समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस के बेहद करीबी रहे हैं.


साल 1977 के लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज ने मुजफ्फरपुर से चुनाव लड़ रहे दिग्गज नेता जॉर्ज फर्नांडिस के लिए चुनाव प्रचार किया था. इस दौरान सुषमा शहर में जहां भी जाती उन्हें सुनने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़त था. उनकी रैलियों और नुक्कड़ सभाओं में लोग उन्हें सुनने के लिए जमकर आते थे.


मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे जॉर्ज फर्नांडिस जेपी के कहने पर लोकसभा सीट के लिए पार्टी के प्रत्याशी बने थे. हालांकि, उस दौरान फर्नांडिस बड़ौदा डायनमाइट कांड के आरोप में जेल में बंद थे. जेल के बाहर सुषमा, जॉर्ज फर्नांडिस के लिए चुनावी लड़ाई लड़ रहीं थीं. उस दौरान जॉर्ज फर्नांडिस के लिए एक नारा- 'जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज फर्नांडिस छूटेगा' बहुत ही प्रचिलित हुआ करता था.


मुजफ्फरपुर की लोकसभा सीट जॉर्ज फर्नांडिस के लिए बेहद खास थी, समाजवादी नेता इस सीट से 1977, 1980, 1989, 1991, और 2004 में लोकसभा के लिए चुन कर आए थे. फर्नांडिस की करीबी होने के बावजूद सुषमा उकनी पार्टी लोकदल में शामिल होने के बजाए वह जनता पार्टी में ही बनी रहीं और 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद इस पार्टी का हिस्सा बन गईं.