सुषमा स्वराज के फैसले पर राजनीति शुरू, चिदंबरम बोले- हवा का रुख भांप कर लिया फैसला
सुषमा बीजेपी की स्टार प्रचारकों में शामिल हैं. उनके कद का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकता हैं कि वो बीजेपी के दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की तीनों सरकारों में मंत्री और दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं.
नई दिल्ली: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कल मध्य प्रदेश के इंदौर में व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए 2019 का लोकसभा चुनाव ना लड़ने का ऐलान किया था. सुषमा स्वराज के इस बयान पर अब राजनीति शुरू हो गई है. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सुषमा स्वराज के बयान को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से जोड़ दिया है.
चिदंबरम ने ट्वीट किया, ''श्रीमती सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश (विदिशा) से सांसद हैं और वो काफी समझदार हैं, उन्होंने मध्य प्रदेश चुनाव में हवा का रुख भांप कर 2019 में चुनाव ना लड़ने का फैसला किया है.''
Smt Sushma Swaraj is the Member of Parliament from Madhya Pradesh and she is smart. She has read the writing on the wall in Madhya Pradesh and announced that she will not contest the 2019 LS election
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 20, 2018
हालांकि चिदंबरम के ट्वीट के कुछ देर बाद ही सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर जवाब दिया. मैं राजनीति से संन्यास नहीं ले रही हूं, ये सिर्फ इतना भर है कि स्वास्थ्य कारणों से मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लडूंगी.
You are right, Swapan. I am not retiring from politics. It is just that I am not contesting the next Lok Sabha election due to my health issues. https://t.co/jF5GpPvVwU
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) November 20, 2018
सुषमा स्वराज के पति ने किया फैसले का स्वागत सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल ने उनके फैसले का स्वागत किया है. कौशल ने कहा कि एक वक्त मिल्खा सिंह ने भी दौड़ना बंद कर दिया था. स्वराज कौशल ने ट्वीट किया, ''मैडम, अब और चुनाव ना लड़ने के फैसले के लिए आपका बहुत धन्यवाद. मुझे याद है एक वक्त आया था जब मिल्खा सिंह ने भी दौड़ना बंद कर दिया था.'
सुषमा स्वराज के राजनीति करियर पर एक नजर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश के विदिशा से सांसद हैं. उन्होंने खुद मध्य प्रदेश के इंदौर में चुनावी गहमागहमी के बीच चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया. सुषमा बीजेपी की स्टार प्रचारकों में शामिल हैं. उनके कद का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकता हैं कि वो बीजेपी के दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की तीनों सरकारों में मंत्री और दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं.
2014 चुनाव से पहले तक सुषमा स्वराज के नाम की चर्चा प्रधानमंत्री पद के मजबूत उम्मीदवार के तौर पर होती रही है. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के एलान के बाद इस पद पर उनके नाम की चर्चा पर विराम लग लगा और उनका कद भी काफी हद तक कम हो गया.
1977 से 1982 के बीच हरियाणा विधानसभा की सदस्य भी रही हैं. इस दौरान उन्होंने 25 साल की उम्र में अंबाला कैंटोनमेंट की सीट पर जीत हासिल की थी जिसके बाद एक बार फिर वो 1987 से 1990 के बीच विधानसभा पहुंचीं.
1977 की जुलाई में देवी लाल की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई. वहीं, 1979 में वो हरियाणा बीजेपी की अध्यक्ष बनाई गईं और इस समय उनकी उम्र 27 साल थी. 1987 से 1990 के बीच हरियाणा में रही बीजेपी और लोक दल की साझा सरकार में वो शिक्षा मंत्री बनीं.