नई दिल्ली: सपा का दामन छोड़ बीजेपी का हाथ थामने वाले नरेश अग्रवाल के जया बच्चन को लेकर दिए बयान पर विवाद थमता नहीं दिख रहा है. विदेश मंत्री सुषमा स्वरात ने नरेश अग्रवाल के बयान पर नाराजगी जताई है.


उन्होंने ट्वीट किया, ''श्री नरेश अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. उनका स्वागत है. लेकिन जया बच्चन जी के विषय में उनकी टिप्पणी अनुचित एवं अस्वीकार्य है.''





क्या कहा था नरेश अग्रवाल ने?
नरेश अग्रवाल सपा से राज्यसभा का टिकट काटे जाने के बाद नाराज होकर बीजेपी में शामिल हुए हैं. समाजवादी पार्टी ने इस बार जया बच्चन को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी हेडक्वार्टर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नरेश अग्रवाल ने कहा कि जो फिल्मों में डांस कर दे, उसके लिए मेरा टिकट काटा गया.


संबित पात्रा ने अग्रवाल के बयान पर सफाई दी
हालांकि इसी बीच मंच पर बैठे बीजेपी नेताओं को नरेश अग्रवाल के बयान की गंभीरता का अंदाज़ा हो गया. मंच पर राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने अग्रवाल के बयान पर सफाई देते हुए कहा कि चाहे चलचित्र में हो या जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो भारतीय जनता पार्टी सभी का सम्मान करती है.


राष्ट्र की समस्याएं राष्ट्रीय पार्टी में जाने से सुलझेंगी: नरेश अग्रवाल
बीजेपी में शामिल होने पर नरेश अग्रवाल ने कहा, ''आज बीजेपी में शामिल हो रहा हूं. जब तक राष्ट्रीय पार्टी में शामिल नहीं होंगे राष्ट्र की समस्या हल नहीं हो सकती.''


उन्होंने कहा, ''मैं मुलायम और रामगोपाल के साथ कभी नही छोडूंगा, मैं उनके साथ हूं. फ़िल्म में डांस करने वाली के नाम पर मेरा टिकिट काटा गया.'' उन्होंने कहा, ''मेरा बेटा विधायक है और राज्यसभा में बीजेपी के प्रत्याशी को वोट देगा. मोदी अमित शाह को धन्यवाद.''


एक सांसद को ही दोबारा राज्यसभा भेज सकती है एसपी
इस साल समाजवादी पार्टी के छह सांसद किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी रिटायर हो रहे हैं. विधानसभा के गणित के मुताबिक समाजवादी पार्टी सिर्फ एक को ही दोबारा राज्यसभा भेज सकती है.


बता दें कि नरेश अग्रवाल यूपी के हरदोई जिले के रहने वाले हैं. एसपी में आने से पहले वो मायावती की पार्टी बीएसपी में रह चुके हैं. नरेश अग्रवाल को जोड़तोड़ की राजनीति का माहिर माना जाता है.


राजनीति में कई नावों की सवारी कर चुके हैं नरेश अग्रवाल
नरेश अग्रवाल नें अपनी राजनीतिक पारी 1980 में कांग्रेस से शुरु की थी. इसके बाद दल बदलने का और जिसकी सत्ता हो उसके करीब रहने का इतिहास रहा है. कांग्रेस छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस बनाई और बीजेपी की कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री बने थे.


2002 में मुलायम सिंह की सरकार में शामिल हुए और फिर मुलायम की सत्ता जाते ही बीएसपी का दामन थाम लिया था. 2007 में चुनाव सपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा लेकिन मायावती की सरकार आते ही वो बीएसपी में शामिल हो गए.


2012 में सपा की अखिलेश सरकार के आते ही वो वापस सपा मे आए और राज्यसभा पहुंच गए. अब सपा की सरकार 2017 में चली गई और राज्यसभा नहीं मिला तो बीजेपी में शामिल हुए.