पीएम मोदी में ट्रंप को चुनौती देने का माद्दा, आतंकवाद बंद हो तभी पाक से होगी बात: सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा, ''भारत की विदेश नीति में भाषा का संयम भी है और धैर्य भी है. विपक्ष की ओर से युद्ध की भी बात की. हमारी सेना तैयार है लेकिन युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है.
नई दिल्ली: राज्यसभा में चीन और पाकिस्तान पर जवाब देने आयीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विदेश नीति पर बोलते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने व्यक्तिगत रूप से सम्मान कमाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को पूरे विश्व में सम्मान दिलाया. विदेश नीति पर भारत सरकार की अतार्किक आलोचना करने पर भारत की विदेश मंत्री ने विपक्ष पर भी जमकर हमला बोला.
मालदीव, नेपाल और श्रीलंका की जरूरत पड़ने पर मदद की सुषमा स्वराज ने कहा, ''जहां तक पड़ोसी देशों से संबंध का सवाल है उस पर बात करने पहले हमें मित्र देश की परिभाषा समझनी होगी. मित्र देश वो होता है जिसे मदद में सबसे पहले पुकारा जाए और जो मदद में सबसे पहले खड़ा हो. मालदीव में जब पानी का संकट हुआ तो वहां के विदेश मंत्री ने हमें फोन किया. हमने सुबह सात बजे रेल नीर से भरा जहाज वहां भेजा. इसके अलावा श्रीलंका में बाढ़ और नेपाल में भूकंप में भी हमने मदद की. भूकंप के बाद नेपाल को बनाने के लिए एक बिलियन डॉलर दिए.''
विदेश नीति के चिंताजनक मुद्दों की जन्मदाता कांग्रेस सुषमा स्वराज ने कहा, ''17 साल में एक भी प्रधानमंत्री नेपाल नहीं गया. हमारे प्रधानमंत्री दो दो बार नेपाल गए तो फिर संबंध खराब होने का सवाल कहां से आया. आज कांग्रेस जिन मुद्दों पर चिंता जता रही है उन मु्द्दों की जन्मदाता कांग्रेस ही है.''
सारे पड़ोसी साथ हैं तो फिर- कोई साथ नहीं ये सवाल कहां से आया? सुषमा स्वराज ने कहा, ''आज बांग्लादेश के साथ सबसे अच्छे संबंध किसी के साथ हैं तो भारत के हैं. जब प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत आयीं तो हमने उसी काम को आगे बढ़ाया जिसे मनमोहन सिंह भी कर रहे थे. आज भूटान हमारा सबसे प्रिय मित्र है. सारे पड़ोसी हमारे साथ हैं तो फिर ये सवाल कहां से आता है कि कोई हमारे साथ नहीं है.''
अच्छे संबंध के लिए पीएम मोदी काबुल से पाक गए सुषमा स्वराज ने कहा, ''प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण में सभी सार्क देशों को न्योता दिया गया था. तत्कालीन पाक पीएम नवाज शरीफ भी इस कार्यक्रम में आए थे. उन्होंने सिर्फ कार्यक्रम में हिस्सा ही नहीं लिया, अगले दिन दोनों राष्ट्राध्यक्षों की द्विपक्षीय वार्ता भी हुई जिसमें मैं भी शामिल थी. 9 दिसंबर 2015 को मैं इस्लामाबाद गई. नवाज ने सरताज अजीज से कहा कि अब पूरी द्विपक्षीय बातचीत करो. दोनों देशों के फॉरेन सेक्रेटरीज बैठे और बात हुई. वहीं प्रधानमंत्री मोदी का काबुल से पाकिस्तान जाना अच्छे संबंधों के लिए था.''
आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते सुषमा स्वराज ने कहा, ''पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध तब बिगड़े जब नवाज शरीफ ने बुरहान वानी को शहीद बताया. हमारा एजेंडा बिल्कुल साफ है, आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते. पीओके भारत का हिस्सा है, पाक के साथ बातचीत तभी होगी जब आतंकवाद पर रोक लगेगी.''
चीनी राजदूत से मुलाकात पर राहुल गांधी पर निशाना चीन के साथ राहुल गांधी की मुलाकात पर निशाना साधते हुए सुषमा स्वराज ने कहा, "विपक्ष को चीन पर भारत का पक्ष समझना चाहिए था. मुझे दुख तब होता है जब विपक्ष ने भारत का पक्ष ना जानकर चीन के राजदूत को बातचीत के लिए बुलाया. सरकार ने विपक्ष को दो दिन की मीटिंग बुलाकर जानकारी दी थी. मीटिंग तब खत्म की गयी जब विपक्ष ने कहा वो संतुष्ट है.'' सुषमा स्वराज की बात के जवाब में आनंद शर्मा ने चीनी राजदूत से कांग्रेस की मुलाकात को सही ठहराया.
भारत की विदेश नीति में भाषा का संयम और धैर्य सुषमा स्वराज ने कहा, ''भारत की विदेश नीति में भाषा का संयम भी है और धैर्य भी है. विपक्ष की ओर से युद्ध की भी बात की गई. हमारी सेना तैयार है लेकिन युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है. आज किसी देश की पहचान सामरिक क्षमता से नहीं बल्कि बढ़ती हुई आर्थिक क्षमता से होती है. प्रधानमंत्री मोदी के सबका साथ सबका विकास के एजेंडे में सिर्फ देश के अंदर का विकास नहीं भारत के पड़ोसियों का भी विकास शामिल है.''
द्विपक्षीय वार्ता से ही चीन विवाद का हल सुषमा स्वराज ने कहा, ''भारत के आर्थिक विकास में चीन से भी मदद आ रही है. इसलिए हमारे देश में जिस देश का निवेश है उससे सिर्फ बातचीत से समाधान निकाला जा सकता है. अगर चीन से द्विपक्षीय वार्ता होगी तो समस्या का हल जरूर निकलेगा.''
इजराइल हमारा दोस्त लेकिन हम फिलिस्तीन के खिलाफ नहीं सुषमा स्वराज ने कहा, "आज इजराइल हमारा दोस्त है लेकिन हम फिलिस्तीन के खिलाफ नहीं हैं. प्रधानमंत्री मोदी के इजरायल दौरे से पहले फिलिस्तीन के राष्ट्रपति भारत आए. प्रधानमंत्री मोदी उन्हें खुद रिसीव करने गए. मैं फिलिस्तीन गयी, हमारे राष्ट्रपति भी फिलिस्तीन गए. फिलिस्तीन इजरायल के साथ हमारे संबंधों को अच्छे नजरिए से देख रहा है. वो चाहते हैं कि उनके मुद्दे सुलझाने में मदद करें.''
हमें अकेला खड़ा बता रहे हैं जबकि हर देश हमारे साथ सुषमा स्वराज ने कहा, " आज अरब देशों के किसी देश के साथ सबसे अच्छे रिश्ते हैं तो वो भारत के साथ हैं. यह भारत की विदेश नीति की जीत है. जब प्रधानमंत्री मोदी सउदी अरब गए तो वहां के नरेश ने सर्वोच्च सम्मान दिया. यमन की बात की जा रही है कि हमने अपने लोगों को सउदी अरब की मदद से ही यमन से निकाला. सउदी अरब यमन पर गोलाबारी कर रहा था. उस वक्त प्रधानमंत्री मोदी ने सउदी नरेश से बात की और दो घंटे के लिए गोलाबारी बंद करने पर राजी किया. इसके बाद यमन से बात करके दो घंटे के लिए एयरपोर्ट खुलवाए और अपने नागरिकों को निकाल कर लाए. इसके साथ ही हम 48 अन्य देशों के नागरिक भी निकाल कर लाए. हमें अकेला खड़ा बता रहे हैं जबकि हर देश हमारे साथ खड़ा है.'' भारत ने यमन से 4700 अपने नागरिकों और 2000 विदेशी नागरिकों को निकाला था.
आज अमेरिका-रूस दोनों हमारे साथ विदेश मंत्री ने कहा, "एच1 बी वीजा का मुद्दा हुआ. 65 हजार एच 1 वीजा मिलते हैं, 20 हजार वहां के ग्रेजुएट अलग हैं. स्पाउस वीजा 2015 में शुरू हुआ. इसमें कोई कमी नहीं की गई है. आज अमेरिका भी भारत के साथ है और रूस भी भारत के साथ है.
पीएम मोदी ग्लोबल एजेंडा सेट करने वाले प्रधानमंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, ''पीएम मोदी ग्लोबल एजेंडा सेट करने वाले प्रधानमंत्री हैं. पीएम मोदी में डॉनल्ड ट्रंप को चुनौती देने का माद्दा है. जब राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से भारत अरबों रुपये कमा रहा है. इसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम पांच हजार साल पुराने देश हैं और पर्यावरण की रक्षा करने में विश्वास रखते हैं. अमेरिका के लिए विपक्ष की ओर से कहा गया कि अमेरिका के सामने हम रमुआ और हरिया हैं. हम साफ करना चाहते हैं कि हम रमुआ और हरिया नहीं हैं. प्रधानमंत्री मोदी आज ग्लोबल एजेंडा सेट करने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं.
जहां प्रोटोकॉल होता है वहीं पीएम के साथ जाती हूं विदेश मंत्री ने कहा, "मुझसे पूछा गया कि आप प्रधानमंत्री के साथ विदेश दौरों पर क्यों नहीं जातीं. ये कौन से प्रोटोकॉल में आता है कि विदेश मंत्री प्रधानमंत्री के साथ जाएं. डॉ. मनमोहन सिंह बताए कि वो कितनी बार अपने विदेश मंत्रियों को अपने साथ ले गए. जहां प्रोटोकॉल होता है वहीं विदेश मंत्री प्रधानमंत्री के साथ जाते हैं. आज भारत की ये हैसियत है कि जब मैं जाती हूं तो सिर्फ विदेश मंत्री से मिलकर नहीं आती. वहां से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी मुझसे मुलाकात करते हैं. कांग्रेस को जिम्मेदारी से बात करनी चाहिए."