एक्सप्लोरर

Manipur Suspension of Operations: अमित शाह का वो सपना जो 'मणिपुर' ने तोड़ दिया?

N Biren Singh On SoO: मणिपुर के इतिहास में जब भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया और वहां पर अफस्पा यानी कि आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लागू कर दिया गया.

Manipur SoO: मणिपुर में पिछले साल हुए चुनाव के दौरान देश के गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक कुकी समस्या को हल करने का वादा किया था. इसके लिए कुकी उग्रवादी गुटों ने भी गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी का साथ दिया. नतीजे आए तो एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बन गई लेकिन एक साल के अंदर ही अमित शाह के किए इस वादे को सीएम बीरेन सिंह ने तोड़ दिया है.

वो समझौता हुआ तो यूपीए सरकार के दौरान था लेकिन मोदी सरकार ने भी उसे आगे बढ़ाया. इसी के दम पर अमित शाह ने मणिपुर के लोगों से वादा भी किया था. तो आखिर वो समझौता क्या था, इस समझौते के टूटने का मणिपुर समेत पूरे पूर्वोत्तर भारत पर असर क्या होगा और क्या इस समझौते के टूटने से मणिपुर में एक बार फिर से उग्रवादी ताकतों को सिर उठाने का मौका मिल सकता है. आइए समझते हैं.

भारत सरकार के लिए अशांत क्षेत्र मणिपुर

तारीख थी 8 सितंबर, 1980. मणिपुर के इतिहास की वो तारीख, जब भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर मणिपुर को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया और वहां पर अफस्पा यानी कि आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट, 1958 को लागू कर दिया गया. तब से अब तक 42 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अब भी मणिपुर में अफस्पा लागू ही है यानी कि अब भी भारत सरकार के लिए मणिपुर अशांत क्षेत्र ही है.

कहां से हुई शुरुआत

इसकी वजह है मणिपुर का वो इतिहास, जिसकी शुरुआत होती है 15 अक्टूबर 1949 से. जब मणिपुर साम्राज्य को आधिकारिक तौर पर भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनाया गया. शुरू में तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन 60 का दशक आते-आते मणिपुर के कुछ लोगों ने इस बात को हवा देनी शुरू कर दी कि भारतीय गणराज्य ने जबरन मणिपुर को अपने में शामिल कर लिया है और अब मणिपुर भारत से अलग होगा. इस बात को साल 1964 में तब और ज्यादा बल मिल गया जब इसी मुद्दे पर जंग लड़ने के लिए मणिपुर में एक संगठन बन गया जिसका नाम है यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट यूएनएलएफ.

यूएनएलएफ ने लगाया आरोप

24 नवंबर, 1964 को बने इस संगठन ने कहा कि मणिपुर को जबरन भारत में शामिल किया गया है और इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए ये संगठन संघर्ष करता रहेगा. मणिपुर को भारत से कोई अलग तो कर नहीं सकता था तो वो तो नहीं हो पाया. हां इतना जरूर हुआ कि साल 1972 में मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया और वो भारत का नया राज्य बन गया.

पीएलए का गठन

मणिपुर को अलग और स्वतंत्र करने की मांग को लेकर 25 सितंबर, 1978 को एक और संगठन बना, जिसका नाम है पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पीएलए. इससे पहले भी इसी मुद्दे को लेकर एक और संगठन बन गया था, जिसका नाम था पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलीपाक यानी कि PREPAK. इसका गठन हुआ था 9 अक्टूबर 1977 को. फिर अप्रैल 1980 में कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी भी बन गई. कांगलीपाक नाम वाली इन दोनों पार्टियों का सबसे ज्यादा असर घाटी के चार जिलों में था. ये सब के सब उग्रवादी समूह थे, जिनकी इकलौती मांग भारत से अलग स्वतंत्र मणिपुर की थी.

... जब मणिपुर में लग गया अफस्पा

शुरुआत में तो इन संगठनों ने अहिंसक तरीके से ही अलग मणिपुर की मांग को आगे बढ़ाया लेकिन धीरे-धीरे इन्होंने हिंसक रास्ता अख्तियार कर लिया. नतीजा ये हुआ कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने मणिपुर को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया और 8 सितंबर, 1980 को मणिपुर में अफस्पा लगा दिया गया. ये वही वक्त था, जब पड़ोसी राज्य नगालैंड में भी नगा आंदोलन अपने चरम पर था. मणिपुर के पहाड़ी इलाकों के पांच जिले सीधे तौर पर नगालैंड में चल रहे आंदोलन से प्रभावित हो रहे थे. नगालैंड में भी दो गुट आपस में ही लड़ रहे थे और दोनों खुद को नगाओं का मसीहा साबित करने की कोशिश कर रहे थे.

कुकी की पहचान की लड़ाई

एक गुट था ईसाक-मुइवाह का, जिसके संगठन का नाम था नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड ईसाक-मुईवाह और दूसरा गुट था खापलांग का, जिसका नाम था नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड खापलांग और इन दोनों की लड़ाई में जो सबसे ज्यादा प्रभावित थे, वो थे कुकी, जो खुद की आइडेंटिटी बचाने के लिए इन दोनों ही गुटों से लड़ने को तैयार थे. चूंकि कुकी पूर्वोत्तर के राज्यों में अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों में हैं, तो उन्हें अपनी आईडेंटिटी भी बचानी थी और इसके लिए उन्हें भी अलग राज्य चाहिए था. तो वो भी लड़ाई के लिए तैयार हो गए.

उन्होंने बाकायदा एक सेना बना ली, जो मणिपुर के साथ ही म्यांमार के भी कुछ हिस्सों में सक्रिय हो गई. 24 फरवरी, 1988 को बनी सेना कुकी नेशनल आर्मी का इकलौता मकसद खुद के लिए अलग राज्य बनाना था, जिसके लिए उन्होंने हथियार उठा लिए. अब इन कुकी की सीधी लड़ाई नगा से हो गई, क्योंकि नगा समुदाय मणिपुर के जिस इलाके को अपने ख्वाब के ग्रेटर नगालैंड या नगालिम का हिस्सा बनाने के लिए लड़ रहा था, कुकी लोगों का कुकी होमलैंड भी उसी पहाड़ी इलाके में आता था.

तो दोनों के बीच जंग छिड़ गई. बाकी मणिपुर में रह रहे मुस्लिमों का रहनुमा बनने की कोशिश में एक और संगठन बन गया जिसका नाम था पीपुल्स यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट पीयूएलएफ. फिर आने वाले दिनों में जोमी लोगों ने अलग राज्य की मांग को लेकर एक और संगठन बना लिया, जिसका नाम था जोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी. ये जिस राज्य की मांग कर रहे थे, उसमें भारत के मणिपुर का कुछ हिस्सा, मिजोरम का कुछ हिस्सा और बांग्लादेश का कुछ हिस्सा शामिल था.

ये जितने भी अलगाववादी और उग्रवादी संगठन बने, इनके पास अकूत पैसे आते थे. विदेश से भी और देश के अंदर से भी. इन उग्रवादी संगठनों ने हथियारों के दम पर वसूली की, किडनैपिंग की, हत्याएं की और अपने लिए पैसे बनाए. भारत सरकार की ओर से भी इन उग्रवादी संगठनों को कभी हथियारों के बल पर कुचला गया तो कभी इनके साथ समझौता कर इन्हें शांत करने की कोशिश की गई लेकिन 42 साल बाद भी मणिपुर में वो शांति नहीं आ पाई है कि केंद्र सरकार वहां से अफस्पा को हटा सके.

इन संगठनों पर भारत सरकार की नजर

मणिपुर में अब भी कम से कम 8 ऐसे संगठन हैं जो भारत सरकार के लिए या तो आतंकवादी हैं या फिर वो कानून के खिलाफ काम करने वाले हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और उसके पॉलिटिकल विंग रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) को आतंकवादी संगठन बताया है. ऐसे ही यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और उसका सशस्त्र संगठन मणिपुर पीपल्स आर्मी, पीपल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी कांगलीपाक, कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी, कांगली याओल कनबा लुप, को-ऑर्डिनेशनल कमेटी, एलाएंस फॉर सोशलिस्ट युनिटी कांगलीपाक और मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट भी या तो आतंकी संगठन हैं या फिर ये कानून के खिलाफ काम कर रहे हैं.

पिछले 23 साल यानी कि साल 1999 से साल 2021 तक में ही साढ़े सात हजार से ज्यादा घटनाएं हुईं हैं जिनमें 500 से ज्यादा जवान शहीद हुए हैं. वहीं ऐसी घटनाओं की वजह से पिछले 23 साल में कम से कम 1200 आम नागरिकों की मौत हुई है. हालांकि ऐसा नहीं है कि पिछली सरकारों ने मणिपुर में शांति बहाली की कोशिश नहीं की. खूब की, लेकिन अभी तक कामयाबी मिल नहीं पाई है, जिसकी उम्मीद की जा रही थी.

यूपीए-1 में की गई कोशिश

सबसे बड़ी कामयाब कोशिश यूपीए 1 के वक्त में हुई जब 22 अगस्त 2008 को मणिपुर में एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ. इसके जरिए कुकी समस्या को हल करने की कोशिश की गई. मणिपुर में कुकी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 30 उग्रवादी समूह हैं. इनमें से 17 कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े हैं और 8 यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट से जुड़े हैं. बाकी के पांच अपने-अपने हिसाब से काम करते हैं.

तो कुकी समस्या को हल करने के लिए मनमोहन सिंह सरकार के वक्त में कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के तहत आने वाले 17 और यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट के तहत आने वाले 8 समूहों यानी कि कुल 25 समूहों के साथ एक समझौता हुआ. इसमें केंद्र सरकार, मणिपुर राज्य सरकार और ये उग्रवादी समूह भी थे. इस समझौते को नाम दिया गया एसओओ. यानी कि सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन. तय हुआ कि ये समूह भारत का संविधान मानेंगे. राजनीतिक स्तर पर बातचीत शुरू करेंगे.

समझौता इस बात पर भी हुआ कि अब कूकी लोग अपने लिए अलग राज्य की मांग नहीं करेंगे, बल्कि इनके लिए कुकीलैंड टेरिटोरियल काउंसिल बनेगा, जिसके पास मणिपुर विधानसभा से अलग वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार होंगे. तय ये भी हुआ कि हर साल इसकी समीक्षा की जाएगी और हर एक साल पर इस समझौते को अगले एक साल के लिए बढ़ा दिया जाएगा.

इस समझौते में ये भी शामिल किया गया था कि न तो राज्य की पुलिस और न ही केंद्र की फोर्स कोई ऑपरेशन चलाएगी और न ही कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट के लोग हथियार उठाएंगे. इनके लोगों को सरकार के बनाए कैंपों में रखने पर समझौता हुआ. ये भी तय हुआ कि संगठन से जुड़े हर शख्स के हथियार एक कमरे में बंद कर दिए जाएंगे जिस पर डबल लॉक सिस्टम होगा और सरकारी कैंपों में रह रहे लोगों को सरकार की ओर से हर महीने 5 हजार रुपये भी दिए जाएंगे. तब से ये समझौता लगातार चला आ रहा है.

अमित शाह का वादा टूटा

पिछले साल 2022 में जब विधानसभा के चुनाव होने थे तो गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया था कि अगले पांच साल यानी कि साल 2027 तक मणिपुर में कुकी समस्या का पूरी तरह से समाधान कर दिया जाएगा. अमित शाह के इस ऐलान के बाद कुकी समुदाय के लोग बीजेपी के साथ आ गए. वोट भी दिया और फिर से एन बीरेन सिंह को बीजेपी का मुख्यमंत्री बना दिया लेकिन अब एक साल का भी वक्त नहीं बीता है कि 2008 से चले आ रहे समझौते को एन बीरेन सिंह की सरकार ने तोड़ने का ऐलान कर दिया है.

10 मार्च को मणिपुर में हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन समझौते को तोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि समझौते के तहत आने वाले दो गुटों केएनए यानी कि कुकी नेशनल आर्मी और जेडआरए यानी कि जोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी ने जंगल की जमीन पर अतिक्रमण करके रह रहे लोगों को हिंसक प्रदर्शन के लिए उकसाया है, लिहाजा समझौता टूट गया है. इसकी वजह से मणिपुर की शांति पर फिर से सवाल उठ गए हैं. क्योंकि शुरुआत मणिपुर सरकार की तरफ से हुई है.

2008 के शांति समझौते यानी कि सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन के बीच ही मणिपुर के दो जिलों चुराचंदपुर और नोनी जिले में पड़ने वाले चुराचंदपुर-खोउपुम प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट एरिया में लोगों ने अवैध अतिक्रमण कर रखा है, जिसे खाली करने के लिए मणिपुर की एन बीरेन सिंह की सरकार अगस्त 2022 से ही नोटिस भेज रही है. सरकार का कहना है कि ज़मीन सरकारी है और यहां रह रहे लोगों ने अवैध अतिक्रमण किया है, जिसे हर हाल में उन्हें खाली करना होगा लेकिन हुआ कुछ नहीं.

जब 20 फरवरी 2023 को के सोंगजांग जिले में पुलिस फोर्स ने जबरन गांव को खाली करवाने की कोशिश की तो 10 मार्च को सरकार के इस फैसले के खिलाफ कुकी समुदाय ने एक विरोध मार्च निकालने का फैसला किया. ये मार्च मणिपुर के तीन जिलों कांगपोकपी, चुराचंदपुर और टेंगनुपाल जिले से होकर गुजरने वाला था. इसे रोकने के लिए एन बीरेन सिंह की सरकार ने धारा 144 लगा दिया. फिर भी मार्च निकला और कुछ जगहों पर हिंसक हो गया. प्रदर्शकारी भी घायल हुए और पुलिसवाले भी.

इसे देखते हुए 10 मार्च को ही कैबिनेट की बैठक हुई और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस पूरे प्रकरण को 2008 में हुए शांति समझौते यानी कि सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन के खिलाफ मानते हुए कुकी समुदाय के दो गुटों केएनए यानी कि कुकी नेशनल आर्मी और जेडआरए यानी कि जोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी को जिम्मेदार ठहराया और समझौता तोड़ दिया. वहीं कुकी नेशनल आर्मी और जोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी का कहना है कि उनका हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन असल सवाल ये है कि 15 साल पुराना समझौता टूटा है तो उसका असर कितना व्यापक हो सकता है, क्या इसकी किसी ने कल्पना की है. क्योंकि मसला सिर्फ समझौते का नहीं है, शांति समझौते का है.

मसला सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन का है और अगर सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन खत्म हुआ तो फिर बात दोनों से तरफ से बिगड़ जाएगी. ऐसे में उम्मीद है कि केंद्र सरकार जल्द ही दखल देकर इस मसले को सुलझा ले तो बेहतर है. क्योंकि ऐसा नहीं हुआ तो गृहमंत्री अमित शाह ने 2022 में जो कहा था कि साल 2027 तक मणिपुर से कुकी समस्या सुलझ जाएगी, वो सुलझेगी नहीं बल्कि और ज्यादा उलझ जाएगी.

ये भी पढ़ें: मणिपुर के उग्रवादी संगठन ZUF और केंद्र के बीच शांति समझौता, सीएम बीरेन सिंह की मौजूदगी में कमेटी भी बनाई

और देखें
Advertisement

IPL Auction 2025

Most Expensive Players In The Squad
Virat Kohli
₹21 CR
Josh Hazlewood
₹12.50 CR
Rajat Patidar
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rishabh Pant
₹27 CR
Nicholas Pooran
₹21 CR
Ravi Bishnoi
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Jasprit Bumrah
₹18 CR
Suryakumar Yadav
₹16.35 CR
Hardik Pandya
₹16.35 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Heinrich Klaasen
₹23 CR
Pat Cummins
₹18 CR
Abhishek Sharma
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Ruturaj Gaikwad
₹18 CR
Ravindra Jadeja
₹18 CR
Matheesha Pathirana
₹13 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Shreyas Iyer
₹26.75 CR
Arshdeep Singh
₹18 CR
Yuzvendra Chahal
₹18 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Sanju Samson
₹18 CR
Yashaswi Jaiswal
₹18 CR
Riyan Parag
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Venkatesh Iyer
₹23.75 CR
Rinku Singh
₹13 CR
Varun Chakaravarthy
₹12 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rashid Khan
₹18 CR
Shubman Gill
₹16.50 CR
Jos Buttler
₹15.75 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Axar Patel
₹16.50 CR
KL Rahul
₹14 CR
Kuldeep Yadav
₹13.25 CR
View all
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Pakistan New Missile: पाकिस्तान ने लॉन्च की SMASH क‍िलर मिसाइल, भारत के लिए कितना बड़ा खतरा? जानें
पाकिस्तान ने लॉन्च की SMASH क‍िलर मिसाइल, भारत के लिए कितना बड़ा खतरा? जानें
CM पद पर किसे देखना चाहते हैं अजित पवार? दिल्ली तक पहुंचा दिया अपना संदेश
CM पद पर किसे देखना चाहते हैं अजित पवार? दिल्ली तक पहुंचा दिया अपना संदेश
IPL 2025 PBKS: पंजाब किंग्स ने 3 खिलाड़ियों पर लुटाया ज्यादा पैसा, टीम ने कप्तान के लिए खोला खजाना?
पंजाब किंग्स ने 3 खिलाड़ियों पर लुटाया ज्यादा पैसा, टीम ने कप्तान के लिए खोला खजाना?
साउथ के ये दो स्टार करते हैं साथ में शिकार, जब भी आते हैं साथ ढह जाते हैं बड़े बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड!
शिकारी हैं साउथ के ये दो स्टार, साथ में करते हैं बॉक्स ऑफिस पर शिकार!
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Sambhal Masjid Clash: सर्वे की जल्दबाजी से संभल में हिंसा? Chitra Tripathi के साथ सबसे बड़ी बहसGehna Zevar Ya Zanjeer: 😱 Gehna trapped in Alia and Shakti Singh's web, will Ayushman believe?Jammu Protest: वैष्णो देवी रोप-वे प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन, लोगों ने किया जमकर हंगामाSambhal Masjid Clash: संभल में कहां से आए इतने पत्थर? SP नेता Manoj Kaka का सन्न करने वाला जवाब

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Pakistan New Missile: पाकिस्तान ने लॉन्च की SMASH क‍िलर मिसाइल, भारत के लिए कितना बड़ा खतरा? जानें
पाकिस्तान ने लॉन्च की SMASH क‍िलर मिसाइल, भारत के लिए कितना बड़ा खतरा? जानें
CM पद पर किसे देखना चाहते हैं अजित पवार? दिल्ली तक पहुंचा दिया अपना संदेश
CM पद पर किसे देखना चाहते हैं अजित पवार? दिल्ली तक पहुंचा दिया अपना संदेश
IPL 2025 PBKS: पंजाब किंग्स ने 3 खिलाड़ियों पर लुटाया ज्यादा पैसा, टीम ने कप्तान के लिए खोला खजाना?
पंजाब किंग्स ने 3 खिलाड़ियों पर लुटाया ज्यादा पैसा, टीम ने कप्तान के लिए खोला खजाना?
साउथ के ये दो स्टार करते हैं साथ में शिकार, जब भी आते हैं साथ ढह जाते हैं बड़े बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड!
शिकारी हैं साउथ के ये दो स्टार, साथ में करते हैं बॉक्स ऑफिस पर शिकार!
मुंह के साथ जेब भी जला देगी ये चाय, दुबई के रेस्टोरेंट में एक लाख रुपये की चाय को देख परेशान हुए लोग
मुंह के साथ जेब भी जला देगी ये चाय, दुबई के रेस्टोरेंट में एक लाख रुपये की चाय को देख परेशान हुए लोग
बांग्लादेश में ISKCON के चिन्मय प्रभु हुए गिरफ्तार, हिंदुओं पर हमलों के खिलाफ किया था प्रदर्शन
बांग्लादेश में ISKCON के चिन्मय प्रभु हुए गिरफ्तार, हिंदुओं पर हमलों के खिलाफ किया था प्रदर्शन
8GB RAM और 108MP कैमरा के साथ लॉन्च हुआ HMD Fusion स्मार्टफोन, जानें फीचर्स और कीमत
8GB RAM और 108MP कैमरा के साथ लॉन्च हुआ HMD Fusion स्मार्टफोन, जानें फीचर्स और कीमत
कैंसर ट्यूमर को फैलने से रोक सकता है कोविड इन्फेक्शन, नई स्टडी में हुए खुलासे से डॉक्टर्स भी हैरान
कैंसर ट्यूमर को फैलने से रोक सकता है कोविड इन्फेक्शन- स्टडी
Embed widget