इंदौर: स्वच्छता से गीत-संगीत का भला क्या सीधा संबंध हो सकता है. लेकिन हर दरवाजे से कचरा जमा करने के लिये दिन-रात चलने वाली करीब 350 छोटी गाड़ियों पर बजते दो खास गीतों ने इंदौर को देश का सबसे साफ शहर बनाने में अहम भूमिका निभायी है.
अलग-अलग जगह जमा किया जाता है सूखा और गीला कचरा
'स्वच्छ सर्वेक्षण-17' के तहत 434 शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में पहली पायदान पर पहुंचे इंदौर को साफ रखने के लिये ये गाड़ियां सड़कों और गली-मोहल्लों में लगातार फेरे लगाती रहती हैं. इन गाड़ियों में सूखा और गीला कचरा अलग-अलग जगह जमा किया जाता है.
'इंदौर को स्वच्छ बनाना है, अब हमने ये ठाना है’
धीमी चाल से चलती इन गाड़ियों पर लगे लाउड स्पीकरों में कैलाश खेर का गाया ‘स्वच्छ भारत का इरादा कर लिया हमने’ और शान की आवाज में ‘हल्ला-होहल्ला...इंदौर को स्वच्छ बनाना है, अब हमने ये ठाना है’ बजता रहता है. ये गाड़ियां दिन भर में इतने फेरे लगाती हैं कि बच्चों से लेकर बड़ों तक को दोनों सफाई गानों के बोल रट गये हैं.
दरअसल, 25 लाख की अनुमानित आबादी वाले शहर में इन गीतों का बजना लोगों को संदेश देता है कि कचरा जमा करने वाली गाड़ी उनकी घर, दुकान या प्रतिष्ठान के दरवाजे तक आ पहुंची है.
इन ‘सुरीली’ गाड़ियों ने बनाया इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर
इंदौर के तिलक नगर में रहने वाले सुलभा शर्मा ने बताया, ‘सफाई वाहन के आने से पहले ही हम घर का कचरा जमा कर एक थली में डाल देते हैं. जैसे ही इस गाड़ी पर बजने वाला गीत ‘हल्ला-होहल्ला...’ हमारे कानों में पड़ता है, हम कचरे की थली लेकर बाहर निकलते हैं और इसे गाड़ी में डाल देते हैं. इन गाड़ियों के चलते हमारे लिये कचरे का निपटारा काफी आसान हो गया है.’
35 साल की गृहिणी ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘शान की आवाज वाले सफाई गान के कुछ बोल मेरे तीन साल के बेटे को भी याद हो गये हैं जिन्हें वह अपनी तुतली जुबान में दोहराता रहता है.’ बहरहाल, इन ‘सुरीले’ सफाई वाहनों के चलाये जाने के पीछे एक ऐसी व्यावहारिक समस्या है जिससे देश के कई शहर-कस्बे जूझ रहे हैं.
हर दरवाजे से कचरा जमा करने की मुहिम
नगर निगम के अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह बताते हैं, ‘पहले हमसे कई लोग शिकायती लहजे में अक्सर सवाल करते थे कि उनके घर या प्रतिष्ठान के पास कचरा पेटी नहीं होने से वे कूड़ा आखिर कहां फेंकें. इसलिये हमने साल भर पहले शहर में छोटी गाड़ियों के जरिये हर दरवाजे से कचरा जमा करने की मुहिम शुरू की.’
उन्होंने बताया कि छोटी गाड़ियों के जरिये सुबह छह से रात 12 बजे तक दो पालियों में कचरा जमा कराया जा रहा है. ये गाड़ियां पहली पाली में सुबह छह से दोपहर दो बजे तक रहवासी इलाकों से कचरा जमा करती है. इन गाड़ियों के जरिये दूसरी पाली में दोपहर चार बजे से रात 12 बजे तक वाणिज्यिक क्षेत्रों से कचरा जमा कराया जाता है.
‘छोटी गाड़ियों के जरिए हर दरवाजे से जमा किया जाता है कचरा'
सिंह ने बताया, ‘छोटी गाड़ियों के जरिये हर दरवाजे से कचरा जमा कराने के साथ हमने एक और जरूरी काम किया. हमने शहर से सैंकड़ों बड़ी कचरा पेटियां हटवा दीं और इनकी जगह हजारों छोटे डस्टबिन लगवा दिये. बड़ी कचरा पेटियां पूरी तरह भर जाने के बाद काफी गंदगी फैलाती थी. लेकिन अब हम छोटे डस्टबिन को फटाफट खाली करा लेते हैं.’
उन्होंने बताया कि छोटी गाड़ियों से जमा कचरे को अलग.अलग चिन्हित जगहों पर खाली किया जाता है. वहां से कचरे को बड़ी गाड़ियों के जरिये सीधे ट्रेचिंग ग्राउंड पहुंचा दिया जाता है जिससे शहर में सफाई बनी रहती है.
आम लोगों में बढ़ायी स्वच्छता के प्रति जागरूकता
अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार ने जनवरी में इंदौर के शहरी क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया था. उन्होंने बताया कि इंदौर को खुले में शौच से मुक्त कराने के लिये नगर निगम ने दो साल पहले अभियान छेड़कर आम लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ायी. इसके साथ ही, 12,549 एकल शौचालय बनाये गये, 174 सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों की हालत दुरस्त की गयी और 17 चलित शौचालय खरीदे गये.
उन्होंने बताया कि नगर निगम ने पिछले दो साल में सुलभ इंटरनेशनल संस्था की मदद से 61 नये सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण भी कराया.