स्वेदशी एयरक्राफ्ट कैरियर 'विक्रांत' बनकर होने वाला है तैयार, सोमवार को कोच्चि में हुआ बेसिन-ट्रायल
भारत के हाथ बड़ी कामयाबी लगने वाली है. देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत जल्द बनकर तैयार होने वाला है.
नई दिल्ली: भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत जल्द बनकर तैयार होने वाला है. सोमवार को कोच्चि में विक्रांत का ‘बेसिन-ट्रायल’ सफलता पूर्वक किया गया. बेसिन ट्रायल के बाद अब माना जा रहा है कि विक्रांत का समुद्री-ट्रायल अगले साल के शुरूआत में होने की संभावना है.
विक्रांत के तैयार होने पर भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में तो शामिल हो ही जाएगा जो विमान-वाहक युद्धपोत बना सकते हैं साथ ही नौसेना की ताकत में भी बड़ा इजाफा हो जाएगा. जानकारी के मुताबिक, सोमवार को नौसेना की दक्षिणी कमान के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल एके चावला और कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के सीएमडी मधु एस. नायर की मौजूदगी में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत का बेसिन-ट्रायल सफलता पूर्वक किया गया.
विक्रांत को हार्बर से निकालकर तकनीकी बारीकियों को परखा गया
पहली बार विक्रांत को हार्बर से निकालकर बेसिन में लाया गया ताकि युद्धपोत के प्रोपेलशन-प्लांट को परखा जा सके. इस दौरान विक्रांत के चारों गैस-टरबाइन, मेन गियर-बॉक्स, एयर कंडिशनिंग प्लांट, फायर सिस्टम, डि-फैल्डिंग और दूसरी तकनीकी बारीकियों को परखा गया. कोच्चि स्थित रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, कमांडर श्रीधर वॉरियर के मुताबिक, बेसिन-ट्रायल पूरे होने के बाद माना जा रहा है कि 2021 के पहले छमाही में विक्रांत के सी-ट्रायल यानि समंदर में फाइनल ट्रायल शुरू हो जाएगें. कमाडंर वॉरियर के मुताबिक, कोविड महामारी के बावजूद नौसेना और सीएसएल ने मिलकर काम किया और बेसिन-ट्रायस संपन्न किया.
आपको बता दें हालांकि, आईएनएस विक्रांत अपने तय-समय से पीछे चल रहा है लेकिन उसमें 75 प्रतिशत स्वदेशी उपकरण लगे हैं. इसके लिए खासतौर से स्टील अथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने ऐसी स्टील तैयार की है जिसपर जंग नहीं लग पाएगा. करीब 2300 टन खास तरह की स्टील तैयार की गई है विक्रांत को बनाने में.
पिछले सात सालों से करीब 2000 लेबर इससे बनाने में जुटी है
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में एबीपी न्यूज ने सेल के प्लांट में बनने वाली खास स्टील और कोच्चि में विक्रांत के लॉन्च होने पर विशेष कवरेज की थी. इसके अलावा 2500 किलोमीटर लंबी इलेक्ट्रिक केबिल लगी हैं और 150 किलोमीटर लंबे पाइप और 2000 वॉल्व लगे हैं. पिछले सात सालों से करीब 2000 लेबर और इंजीनियर और टेक्निशियन्स की टीम इससे बनाने में दिन-रात जुटी हैं. इसके अलावा कम्युनिकेशन सिस्टम, नेटवर्क सिस्टम, शिप डाटा नेटवर्क, गन्स, कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम इत्यादि सब स्वदेशी है. विक्रांत को बनाने में करीब 20 हजार करोड़ का खर्चा आएगा. विक्रांत को बनाने से 50 से ज्यादा भारतीय कंपनियां और करीब 40 हजार अप्रत्यक्ष रोजगार मिल पाया है.
पिछले साल यानि सितबंर 2019 में विक्रांत के कम्पूटर और कुछ संवदेनशील एक्युपमेंट चोरी होने की घटना भी सामने आई थी. लेकिन एनआईए ने एक लंबी और बेहतरीन जांच के जरिए विक्रांत में काम करने वाले 02 पूर्व लेबरर्स को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था.
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