'हमसे नहीं देखा गया, विरोध किया और जब तक जीवित रहेंगे तब तक करेंगे', काशी में सरकार के किस काम पर बिगड़ते नजर आए शंकराचार्य? जानिए
Shankaracharya Avimukteshwaranand: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समय को लेकर सवाल उठ रहे हैं. वहीं, शकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने काशी में सरकार के काम को लेकर भी विरोध किया.
Swami Avimukteshwaranand Saraswati Exclusive: 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा के मुहुर्त को लेकर सवाल करने वाले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने वाराणसी में बने काशी कॉरिडोर को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं. एबीपी न्यूज के साथ हुई खास बातचीत में उन्होंने कहा कि काशी कॉरिडोर बनाने के दौरान कई हजार साल पुरानी मूर्तियों को तोड़ दिया गया.
काशी कॉरिडोर को लेकर सवाल करते हुए उन्होंने कहा, “जब उन्होंने काशी में मंदिर तोड़े, सिर्फ मंदिर ही नहीं दो-दो हजार साल, 1500 साल, हजार साल पुरानी मूर्तियों को तोड़कर जब उन्हें मलबे में फेंका तो हमसे नहीं देखा गया. हमने विरोध किया और आज भी करते हैं और जब तक जीवित रहेंगे तब तक करते रहेंगे. उस कार्य के लिए हम उनको गलत कहते रहेंगे.”
‘अच्छा बनाने के लिए 50 की हत्या सही है क्या?’
शंकराचार्य ने अपनी बात आगे रखते हुए कहा, “आपको बहुत अच्छा बनाने के लिए 50 की हत्या कर दें. एक मूर्ति की पूजा करने के लिए 10 मूर्तियों को तोड़ दें क्या? एक मूर्ति का महत्व बढ़ाने के लिए 10 मूर्तियों को तोड़कर कहें कि हमने अच्छा काम किया, ये हम स्वीकार नहीं करते हैं. वो दृश्य हमने अपनी आंखों से देखे हैं कि हमारे देवताओं की मूर्तियां पड़ी हैं. चारों तरफ छिटक रहीं हैं.”
‘ऐसा लग रहा था कि अभी-अभी महाभारत हुआ है’
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा, “हमने अपनी आंखों से देखा, ऐसा लग रहा था कि अभी-अभी महाभारत हुआ है. किसी का हाथ कटा तो किसी का गला कटा है. वो दृश्य हमने देखा है तो हमने इसका विरोध किया. जो गलत होता है उसके लिए हम कहते हैं और कहते रहेंगे. अगर हम सच नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा? फिर कहते हैं कि ये तो कांग्रेसी हो गया. कांग्रेस ने क्या किया है हमारे लिए? किसी ने क्या किया है? हम तो धर्म के लोग हैं तो हमें क्यों जोड़ते हैं राजनीति में? ऐसे दृश्य उपस्थित नहीं करके भी कार्य हो सकता था.”