Caste Census: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने जातिगत जनगणना का किया समर्थन, लेकिन रख दी ये बड़ी शर्त!
Shankaracharya On Caste Census: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जातिगत जनगणना को लोगों के कल्याण के लिए सही ठहराया, लेकिन इसको लेकर होने वाले राजनीतिक स्टंट पर आपत्ति जताई.
Shankaracharya On Caste Census: प्रयागराज की संगम नगरी में महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए साधु-संतों का आना शुरू हो चुका है. इस बीच प्रयागराज पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जाति जनगणना कराने में कोई खराबी नहीं है अगर लोगों के कल्याण के लिए ऐसा कराया जाता है तो ये अच्छा है, लेकिन अगर इसे लेकर राजनीति होती है तो ये गलत है.
यूट्यूब चैनल न्यूज तक को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा "हमारे विचार हैं जातिगत जनगणना कोई खराबी नहीं है, अगर हमारे देश की सरकार अगर चाहती है कि हमारे देश में कितनी जातियां है, कितनी जाति के कितने लोग हैं, किन-किन क्षेत्रों में कौन से जातियों में कितने लोग हैं, उनकी क्या स्थिति है. इसको लेकर सरकार को बिल्कुल जानना चाहिए"
'राजनीति के लिए जनगणना कराओगे तो समर्थन नहीं'
शंकराचार्य ने आगे कहा, "जब वह कहते हैं की राजनीति करने के लिए जाति की जनगणना करेंगे, ताल ठोकते हैं कि हम जाति की गणना करा कर रहेंगे और दूसरा कहता है, नहीं हम किसी हालत में होने नहीं देंगे तो यह राजनीति है और राजनीति के लिए जब यह जनगणना कराओगे तो यह सवाल टूट जाएगा."
उन्होंने कहा कि अगर जरूरत के लिए उनके कल्याण का कार्यक्रम बनाने के लिए यह जनगणना कराओगे तो अच्छा होगा. अगर उस कारण से यह जनगणना कराई जाएगी तो मेरा उसका समर्थन है और अगर राजनीति के लिए कराई जाएगी है तो मेरा बिल्कुल समर्थन नहीं है.
लंबे समय से उठता रहा है जातिगत जनगणना का मुद्दा
भारत में जातिगत जनगणना का मुद्दा लंबे समय से उठता रहा है. विपक्ष इसे सामाजिक न्याय और वंचित समुदायों के कल्याण के लिए आवश्यक बताता रहा है. वहीं, आलोचक मानते हैं कि जातिगत डेटा के उपयोग से जातिगत राजनीति और समाज में विभाजन बढ़ सकता है और जातिगत जनगणना का इस्तेमाल राजनीतिक दलों द्वारा अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने अब तक जातिगत जनगणना को लेकर कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया है. 2011 की जनगणना में सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना (SECC) की कोशिश की गई थी, लेकिन इसका डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया.