Swami Prasad Maurya: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता दत्तात्रेय होसबोले ने बीते दिनों एक कार्यक्रम में बयान दिया कि भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू हैं. उनके इस बयान पर अब सियासत तेज हो गई है. पहले समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने उन पर निशाना साधा. वहीं अब बयानों की जंग में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की भी एंट्री हो गई है. उन्होंने कहा है कि हिंदू धर्म को मानने वालों को अपमानित किया जा रहा है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने दत्तात्रेय होसबोले के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, 'देश की समस्त महिलायें व शूद्र समाज यानि आदिवासी, दलित, पिछड़े, जो सभी हिंदू धर्मावलंबी ही हैं तथा जिनकी कुल आबादी 97% है, को तो अपमानित किया ही जा रहा है. गोमांस खाने वालों को हिंदू बनाकर उन्हें भी अपमानित करने का इरादा है क्या? बोलो, बोलो हसबोले जी.'
सोशल मीडिया यूजर्स ने ऐसे किया रिएक्ट
सपा नेता के इस ट्वीट पर अब बवाल होना तय है. वहीं सोशल मीडिया यूजर्स भी इस लड़ाई में कूदे पड़े हैं. कुछ यूजर्स का मानना है कि होसबोले ने सही कहा है तो वहीं कुछ मौर्य का समर्थन किया है. सत्यप्रकाश यादव नाम के यूजर ने लिखा, 'मौर्य जी आप समाज को गंदगी मुक्त करने का कार्य नहीं कर सकते तो खून से सने लाश युक्त बनाने का प्रयास भी मत कीजिए.. वर्ना तुम्हारे समाज के कितने लोग तुम्हारे एक बयान की वजह से प्रताड़ित होंगे. ये तुम भूल जाते हो लड़ाई विवेक से लड़ी जाती है, बकवास से नहीं.'
क्या कहा था दत्तात्रेय होसबोले ने?
दत्तात्रेय होसबोले ने जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू हैं, क्योंकि उनके पूर्वज हिंदू थे. उन्होंने कहा, 'उनकी पूजा के तरीके अलग हो सकते हैं, लेकिन उन सभी का डीएनए एक ही है.' दत्तात्रेय ने अपने बयान को यहीं नहीं खत्म किया. उन्होंने घर वापसी को लेकर भी बात कही. वो बोले कि हम मजबूरी में बीफ खाने वालों के लिए दरवाजे बंद नहीं कर सकते.
आरएसएस नेता ने आगे कहा, 'भारत में 600 से अधिक जनजातियां कहती थीं कि हम अलग हैं. हम हिंदू नहीं हैं. भारत विरोधी ताकतों ने उन्हें भड़काने का काम किया है. इस पर गोलवलकर जी ने कहा कि वो हिंदू हैं. उनके लिए दरवाजे बंद नहीं हैं, क्योंकि हम वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा पर काम कर रहे हैं.'
रामचरितमानस पर दिए बयान से भी मचा था बवाल
स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस में लिखी कुछ चौपाइयों का भी विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि जो धर्म आदिवासी, दलित, पिछड़े और महिलाओं का विरोध करता है, शूद्रों के सत्यानाश की बात करता है, ऐसे धर्म का सत्यानाश हो जो हमारे सत्यानाश की बात करता है. उन्होंने ये भी कहा कि कुछ पंक्तियां (रामचरितमानस में) हैं जिनमें 'तेली' और 'कुम्हार' जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है और इनके कारण लाखों लोगों की भावनाएं होती हैं. मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
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