भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक और बौद्धिक नेता स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि आज है. भारतीय योग और वेदांत दर्शन को पश्चिम से अवगत कराने में स्वामी विवेकानंद का अतुलनीय योगदान है. वह अपने उस असाधारण भाषण के लिए जाने जाते हैं जो उहोंने 1893 में अमेरिका के शिकागो में World Parliament of Religion में दिए थे. इस भाषण में विवेकानंद ने अमेरिकियों को भाइयों और बहनों कहकर संबोधित किया था. इस संबोधन से पूरा पश्चित जगत अचंभित हो गया था क्योंकि इससे पहले किसी धार्मिक नेता ने अन्य धर्मों के लोगों को भाई-बहन कहकर संबोधित नहीं किया था. 


अंतर-धार्मिक सामंजस्यता की वकालत 
19वीं सदी में विवेकानंद ने हिन्दुत्व को वैश्विक प्लेटफॉर्म पर पहुंचाया था और अंतर-धार्मिक सामंजस्यता की भावना को प्रोत्साहित किया था. उनकी शिक्षा ने पश्चिमी दुनिया में समानता के सह-अस्तित्व को प्रदर्शित किया था. विवेकानंद का जन्म एक बंगाली परिवार में 12 जनवरी 1863 को नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में हुआ था. उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायधीश थे जबकि माता भुवनेश्वरी देवी गृहणी थीं. बचपन से विवेकानंद को आध्यात्म में रुचि थी और देवी-देवताओं के सामने वे अक्सर ध्यान लगाया करते थे. 


यहां पर उनके कुछ विचारोतेजक वक्तव्य को सामने रख रहे हैं जो आज भी प्रासंगिक है-
• आपको अंदर से बाहर की ओर बढ़ना है. कोई भी शख्स आपको इसके लिए सिखा नहीं सकता. ना ही कोई आपको आध्यात्मिक बना सकता. आपकी आत्मा से बढ़कर आपका कोई दूसरा गुरु नहीं हो सकता.  


• जिस दिन आपके जीवन में कोई समस्या न आए, उस दिन आप यह पक्के तौर पर समझ लीजिए कि आप गलत रास्ते पर जा रहे हैं.


• उठो, जागो और तब तक चलते रहो जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए.


• जिंदगी में एक विचार (idea) लें. उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं. इसी का सपना देखें, इसी के बारे में सोचें, इसी विचार के साथ जिएं. आप अपने दिमाग, शरीर, मांसपेशियां, तंत्रिका और शरीर के हर अंग में इस विचार को भर दें. दूसरे विचारों को अकेला छोड़ दें. यही से सफलता का द्वार खुलेगा. इसी विचार से महान आध्यात्मिक दिग्गज पैदा लेते हैं.


• जो आग हमें गर्मी देती है वही हमें खत्म भी कर सकती है. इसमें आग की कोई गलती नहीं.


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