नई दिल्ली: ऐसा लगता है कि देश की राजधानी दिल्ली फ़िलहाल टिड्डियों के आतंक से बच गई है. दिल्ली से सटे गुरुग्राम पहुंचा टिड्डियों का दल अचानक बदली हवा की दिशा से हरियाणा के पलवल होते हुए आगरा की ओर मुड़ गया. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक़ 2×4 किलोमीटर क्षेत्र का टिड्डियों का एक दल राजस्थान के झुंझुंनू ज़िले से 26 जून को हरियाणा के रेवाड़ी की ओर बढ़ा. यहां उसपर काफ़ी हद तक क़ाबू पा लिया गया, लेकिन कुछ बचे हुए टिड्डी पहले झज्जर की ओर बढ़े और बाद में हवा की दिशा बदलने से 3 -4 छोटे दलों में बंट कर हरियाणा के नूह और गुरुग्राम की ओर बढ़े. इसके पहले की टिड्डियों के ये दल दिल्ली की ओर बढ़ते हवा की दिशा थोड़ी और बदली और ये दल उत्तर प्रदेश की तरफ़ बढ़ गए.
फ़सलों को ज़्यादा नुकसान नहीं- कृषि मंत्रालय
कृषि मंत्रालय ने औपचारिक तौर पर साफ़ किया है कि अबतक गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार और हरियाणा में फ़सलों का कोई ख़ास नुकसान नहीं हुआ है. हालांकि मंत्रालय के मुताबिक़ राजस्थान के कुछ जिलों में मामूली नुकसान की ख़बर है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि फ़िलहाल ज़्यादातर इलाकों में कोई फ़सल खड़ी नहीं है क्योंकि अभी ख़रीफ़ की बुवाई का मौसम चल रहा है. मंत्रालय के मुताबिक़ टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से तत्काल की गई कार्रवाई भी फ़सलों की कम बर्बादी के लिए ज़िम्मेदार है.
ड्रोन से भी हो रहा नियंत्रण का काम
कृषि मंत्रालय के मुताबिक़ फ़िलहाल राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और पंजाब में टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए सघन अभियान चलाया जा रहा है. मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़ 11 अप्रैल से अबतक इन राज्यों के 1,27,225 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डियों पर क़ाबू पाया जा चुका है. फ़िलहाल हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 7 ग्राउंड कंट्रोल टीमें इस काम में लगी हैं. इस काम में ट्रैक्टर और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के अलावा ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
टिड्डियों के नियंत्रण के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने वाला भारत दुनिया में इकलौता देश हैं. अबतक 5 कम्पनियों के 12 ड्रोन इस काम में लगाए गए हैं जिनमें ज़्यादातर राजस्थान में है. फ़िलहाल ड्रोन का इस्तेमाल केवल ऊंचे पेड़ों या दुर्गम इलाकों पर ही कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किया जा रहा है. इसके अलावा कृषि मंत्रालय ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से हेलीकॉप्टर के इस्तेमाल की भी इजाज़त ले ली है. हालांकि हेलीकॉप्टर में इस्तेमाल के लिए जो स्प्रेयर मशीन चाहिए उसे लॉक डाउन के चलते आने में देरी हो गई है. उसके जुलाई के अंत तक ही भारत पहुंचने की संभावना है. फिलहाल टिड्डी नियंत्रण के काम में 60 कंट्रोल टीमें और केंद्र सरकार के 200 प्रशिक्षित कर्मचारी लगाए गए हैं.
पाकिस्तान और ईरान से हो रही बैठकें
इसके अलावा दक्षिण पश्चिम एशियाई क्षेत्र के चार देशों के तकनीकी टीमों की लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बैठकें भी हो रही हैं. इन देशों में भारत, पाकिस्तान, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान शामिल हैं. हर हफ़्ते होने वाली ये बैठक अबतक 14 बार हो चुकी है. संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था खाद्य और कृषि संगठन (FAO) इन बैठकों का समन्वय कर रहा है.
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